जिस होली के त्योहार को पूरा देश हर्षोल्लास से मनाता है इस त्योहार पर नाचता गाता है झूमता है, लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा या जानने की कोशिश की है कि आखिर हम होली का त्योहार क्यों मनाते है और सबसे पहले होली कहां मनाई गई थी. यदि नहीं तो आज हम आपको बताते है की सबसे पहले होल
Trending Photos
अब्दुल सत्तार/झांसी:जिस होली के त्योहार को पूरा देश हर्षोल्लास से मनाता है इस त्योहार पर नाचता -गाता है, लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा या जानने की कोशिश की है कि आखिर हम होली का त्योहार क्यों मनाते है और सबसे पहले होली कहां मनाई गई थी. यदि नहीं तो आज हम आपको बताते है की सबसे पहले होली की शुरुआत किस राज्य से हुई थी.
Holi 2023: वाराणसी में इस वजह से 7 मार्च को मनाई जाएगी होली, जाने इसके पीछे की वजह
होली से जुड़ा है इतिहास
झांसी जिला मुख्यालय से लगभग अस्सी किलोमीटर दूर इस जगह पर हिरण्यकश्यप के समय के किले के खंडहर के अवशेष मिलते हैं. जिनके आधार पर इसे हिरण्यकश्यप की राजधानी माना जाता है. इस त्योहार की शुरुआत बुंदेलखंड में झांसी के एरच से हुई थी. जानकारी के मुताबिक यह कभी हिरण्यकश्यप की राजधानी हुआ करती थी. इस जगह पर हिउ होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी. इस पूरे प्रकरण में होली जल गई थी, जबकी प्रहलाद बच गए थे.
Rishikesh Tourism: होली पर ऋषिकेश हरिद्वार ये तस्वीरें मनमोह लेंगी
क्यों मनाई जाती हैं होली
शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक वर्तमान में झांसी जिले का एरच कस्बा सतयुग में एरिकच्छ के नाम से जाना जाता है. एरच दैत्याराज हिरण्यकश्यप की राजधानी थी. आपको बता दें कि हिरण्यकश्यप को यह वरदान मिल हुआ था कि वो न तो दिन में मरेगा और न ही रात को. हिरण्यकश्यप को यह भी वरदान मिला हुआ था कि उसे न तो इंसान मार पाएंगे और न ही जानवर. इस वरदान को प्राप्त करने के बाद हिरण्यकश्यप में कभी न मरने का अहंकार और गया था और वह खूद को अमर समझने लगा था. कुछ दिन बाद हिरण्यकश्यप के घर प्रहलाद का जन्म हुआ.
UP News: होली से पहले योगी सरकार ने गांव को दिया तोहफा, अब हर गांव में दौड़गी मेडिकल यूनिट
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मरवाने की योजना बनाई
जानकारी के मुताबिक प्रहलाद नारायण की भक्ति में लीन थे. प्रहलाद की नारायण भक्ति से परेशान होकर हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने की योजना बनाई. हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को डिकोली पर्वत से नीचे फिंकवा दिया. लेकिन इस दौरान भगवान ने खूद उसकी रक्षा की और प्रहलाद को बचा लिया.
Holi 2023: सीएम योगी ने खूब खेली फूलों की होली, प्रदेश के हर नागरिक को दी होली की बधाई
इसलिए होलीका बैठी थी आग पर
शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक हिरण्यकश्यप की बहन होलीका ने प्रहलाद को मारने की ठानी थी. होलीका के पास एक ऐसी चुनरी थी, जिसे पहनने पर वो आग के बीच बैठ सकती थी. जिसको ओढ़कर आग का कोई भी असर होलीका पर नहीं होता था. जानकारी के मुताबिक होलीका वही चुनरी ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई. लेकिन भगवान ने प्रह्लाद किम रक्षा की और हवा के कारण वह चुनरी उडकर प्रह्लाद पर आ गिरी. इस तरह प्रहलाद बच गए लेकिन होलिका उस आग में जल गई.
विष्णु भगवान ने किया हिरण्यकश्यप का वध
होलीका के आग में जलने के तुरंत बाद विष्णु भगवान नें नससिंह के रूप में अवतार लिया और गौधुली बेला यानी न दिन न रात में अपने नाखूनों से डिकोली स्थित मंदिर पर हिरण्यकश्यप का वध किया.
WATCH: ये बंदर है बाबा बुद्धेश्वर महाकाल का भक्त !, रोज मत्था टेकने आता है मंदिर