होलिका दहन के मौके पर हम तरह-तरह की लकड़ियां होलिका में डाल देते हैं. जबकि वैदिक मान्यता के मुताबिक कुछ ही लकड़ियों को जलाया जाना चाहिए. कुछ लकड़ी तो भूलकर भी होलिका में न डालें.
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Holika dahan date 2023 : फाल्गुन की शुरुआत के साथ ही होली का इंतजार शुरू हो जाता है. इस बार होलिका दहन 7 मार्च, मंगलवार के दिन किया जाएगा. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के कुछ दिन पहले से ही लोग दहन के लिए लकड़ियां जमा करना शुरू कर देते हैं. शुभ मुहूर्त के मुताबिक होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक होलिका दहन में पवित्र लकड़ियों का ही उपयोग किया जाना चाहिए. भूलकर भी कुछ लकड़ियों का उपयोग नहीं करना चाहिए. आइए जानते हैं कौनसी हैं वह लकड़ियां. होलिका दहन के अगले दिन रंगों की होली खेली जाएगी. इस बार 8 मार्च को होली है.
होलिका दहन में भूलकर भी इस्तेमाल न करें ये लकड़ियां
आपने अक्सर देखा होगा कि हमारे यहां कई पूजन कार्य में पीपल, आंवला, तुलसी, केला, नीम, अशोक और बेल के पेड़ तथा उसकी सामग्री का उपयोग होता है. ऐसे में
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन में इन पेड़ों की लकड़ियों को जलाने से बचना चाहिए. बल्कि इनकी पूजा करें. धार्मिक और पर्यावरण के नजरिए से इन पेड़ों की खास अहमियत है. इसी तरह होलिका दहन के लिए हरे-भरे पेड़ या फिर इनकी शाखाओं का उपयोग भूलकर भी न करें.
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इन लकड़ियों का करें उपयोग
होलिका दहन में एरंड और गूलर की सूखी लकड़ियों का उपयोग करना शुभ होता है. गूलर को बेहद अहम माना गया है. कहते हैं कि इस मौसम में गूलर की टहनियां खुद ही सूख कर गिर जाती हैं, इसलिए इसकी टहनियों का उपयोग आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है. होलिका दहन में गाय के गोबर के उपले आदि का भी उपयोग करें. होलिका दहन में खरपतवार का उपयोग भी किया जा सकता है. ऐसा करके आप हरे पेड़-पौधों को कटने से बचा सकते हैं.
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