Janki Jayanti 2023: जानकी जयंती यानी माता सीता का जन्मोत्सव फाल्गुन माह में मनाई जाती हैं. जानकी माता के व्रत से घर में सुख शांति आती है और और पति की लंबी उम्र भी होती है.
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Janaki Jayanti 2023: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन कृष्ण अष्टमी तिथि को राजा जनक की पुत्री और भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता का प्राकट्य हुआ था. इसीलिए इस तिथि को सीता जयंती (जानकी जयंती) मनाई जाती है. इस पर्व को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. मां सीता अपने त्याग और समर्पण के लिए पूजनीय हैं. जानकी जयंती के दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा-उपासना करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल जानकी जयंती कब है और व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व क्या है.
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बिहार-नेपाल में जानकी जंयती की धूम
बिहार राज्य के मिथिला इलाके में इसकी धूम रहती है. इसके अलावा नेपाल में भी इसको लेकर उत्सव का माहौल रहता है. कई जगहों पर रामायण के नाट्य रूपांतरण का भी आयोजन किया जाता है. झांकियां सजाई जाती हैं. जानकी जयंती पर सुहागिन महिलाएं विशेश रूप से व्रत करती हैं. जानकी माता के व्रत से घर में सुख शांति आती है और और पति की लंबी उम्र भी होती है.
तारीख-14 फरवरी-दिन मंगलवार
फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 फरवरी को सुबह 8 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी.अगले दिन 14 फरवरी को सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि को मानते हुए जानकी जयंती 14 फरवरी को मनाई जाएगी.
जानकी जयंती व्रत की पूजा विधि
जानकी जयंती के दिन सुबह स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें और घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. पूजा-व्रत का संकल्प लें. यदि घर में गंगा जल है तो, देवताओं को स्नान कराने वाले जल में गंगा जल मिलाएं. इसके पश्चात भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें. शाम को माता सीता की आरती के साथ व्रत खोलें और प्रसाद वितरण करें.आरती कर सुख, समृद्धि की कामना करें और अपनी आकांक्षा ईश्वर के सन्मुख मन में प्रकट करें. शाम को आरती के बाद फलाहार करें.
जानकी जयंती का महत्व
जानकी जयंती का दिन माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने घर की सुख शांति और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. कुंवारी कन्याएं भी भगवान राम जैसा वर पाने के लिए इस व्रत को रख सकती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा करता है उसे सोलह महा दान का फल और पृथ्वी दान का फल प्राप्त होता है.
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