जब पं. नेहरू और गांधी जी की मुलाकात ने बदल दिया था स्वतंत्रता संग्राम का रुख, लखनऊ है इसका गवाह
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जब पं. नेहरू और गांधी जी की मुलाकात ने बदल दिया था स्वतंत्रता संग्राम का रुख, लखनऊ है इसका गवाह

साल था 1916 और तारीख 26 दिसंबर. 27 साल के जवाहर लाल एक बैठक में शामिल होने के लिए इलाहाबाद से ट्रेन पकड़कर लखनऊ आ रहे थे. इसी मीटिंग में महात्मा गांधी भी शामिल हुए. लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन दोनों महापुरुषों की मुलाकात का स्थल बना...

जब पं. नेहरू और गांधी जी की मुलाकात ने बदल दिया था स्वतंत्रता संग्राम का रुख, लखनऊ है इसका गवाह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का कनेक्शन भी ऐतिहासिक है. कहा जाता है कि नवाबों की शहर लखनऊ में एक छोटी सी मुलाकात ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का रुख बदल दिया था. यह मुलाकात थी जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की. आज नेहरू जयंती पर जानते हैं इस ऐतिहासिक भेंट के बारे में...

लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर मिले थे चाचा नेहरू
साल था 1916 और तारीख 26 दिसंबर. 27 साल के जवाहर लाल एक बैठक में शामिल होने के लिए इलाहाबाद से ट्रेन पकड़कर लखनऊ आ रहे थे. इसी मीटिंग में महात्मा गांधी भी शामिल हुए. लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन दोनों महापुरुषों की मुलाकात का स्थल बना. दोनों ने एक दूसरे से हालचाल लिया और फिर बातचीत शुरू हुई. पंडित नेहरू ने अपनी आत्मकथा में भी महात्मा गांधी के साथ हुई इस मुलाकात का जिक्र किया था. चाचा नेहरू ने अपनी किताब में बताया है कि दोनों के बीच स्वतंत्रता संग्राम की रणनीति को लेकर चर्चा हुई थी.

अहम थी यह मुलाकात
भारत को आजादी दिलाने में पंडित नेहरू और बापू का रोल कितना अहम है यह बताने की जरूरत नहीं, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में दोनों की यह मुलाकात भी काफी मायने रखती है. जानकार बताते हैं कि नेहरू जी ने आत्मकथा में भी महात्मा गांधी से हुई इस मुलाकात का जिक्र किया गया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि इस छोटी सी मुलाकात ने देश में स्वतंत्रता संग्राम की दिशा तय की.

महापुरुषों की याद में बनाया गया उद्यान
बता दें, पंडित जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में इस मुलाकात स्थल पर लखनऊ के चारबाग रेलवे के पास गांधी उद्यान बनाया गया है. इसी जगह पर एक हेरिटेज इंजन रखा गया है. साथ ही, इस जगह एक शिलालेख भी है, जिस इस ऐतिहासिक मुलाकात का वर्णन भी किया गया है.

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