कानपुर देहात के उड़नवापुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक बिना आंखों की रोशनी के बच्चों के जीवन में फैला रहे प्रकाश. जानें कैसे निभा रहे जिम्मेदारी.
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आलोक त्रिपाठी/कानपुर देहात : जनपद में एक शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने आंखों की रोशनी जाने के बाद न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि अब स्कूल में बच्चों को शिक्षित कर उनके जीवन में प्रकाश फैला रहे हैं.
हर्ष फायरिंग ने छीन ली थी आंखों की रोशनी
दरअसल, कानपुर देहात के झींझक कस्बे के पास उड़नवापुर गांव के प्राथमिक स्कूल में पदस्थ नेत्रहीन शिक्षक गणेश दत्त द्विवेदी करीब 22 साल पहले अपने मित्र की शादी में गए थे. वहां हर्ष फायरिंग के दौरान बंदूक से निकले छर्रे उनकी आंखों को चोटिल कर दिए. कई साल इलाज के बाद भी उनकी आंखों की रोशनी नहीं लौट पाई. इसके बाद भी गणेश दत्त ने हार नहीं मानी और पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया.
2009 में शिक्षक पद पर चयन हुआ
गणेश दत्त ने ग्रेजूएशन की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद वह देहरादून पढ़ाई करने चले गए. इसके बाद गणेश दत्त घर लौट एमए और बीएड किया. इसी बीच 2008 में आई शिक्षक भर्ती में उन्हें भी आवेदन करने का मौका मिला. गणेश ने आवेदन किया और परीक्षा दी. इसके बाद 16 जुलाई 2009 को उनको उड़नवापुर प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति मिल गई. गणेश दत्त पिछले 13 साल से उड़नवापुर के इसी विद्यालय में बच्चों का भविष्य उज्जवल करने में लगे हैं.
प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी मिली
गणेश दत्त ने बताया कि उनका छोटा भाई विद्यालय छोड़ जाता है और शाम को ले जाता है. उड़नवापुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक सेवानिवृत्त हो चुके हैं. ऐसे में वर्तमान में गणेश दत्त इसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. गणेश दत्त ने बताया कि किसी और विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापक ज्वॉइन करना मेरे लिए चुनौती होती, इस विद्यालय से पूरी तहर वाकिफ होने के चलते उन्हें यहां दिक्कत नहीं होती.
बच्चों के बीच बिताना चाहते हैं पूरा जीवन
गणेश दत्त ने अभी तक शादी नहीं की. गणेश दत्त का कहना है कि वह अपनी शादी नहीं करेंगे, क्योंकि वह अपना पूरा जीवन इन्हीं बच्चों के बीच बिताना चाहते हैं. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि गणेश दत्त के होने की वजह से उन्हें बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता नहीं है. अभिभावकों का कहना है कि गणेश दत्त अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं. उनकी निष्ठा देख उन्य शिक्षक भी पूरी लगन से बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.