गिलहराज मंदिर की खोज सैकड़ों साल पहले महंत श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज ने करवाई थी. ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी महंत को सपने में दर्शन दिए थे और कहा कि अचल ताल पर निवास करता हूं, मेरी पूजा करो. जब उस महंत ने अपने शिष्य को अचल सरोवर पर खोज करने के लिए भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत सारी गिलहरियां मिली. उन्हें हटाकर जब उस जगह को खोदा तो वहां जमीन के नीचे से मूर्ति निकली.
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प्रमोद कुमार/अलीगढ़: अब तक आपने हनुमान जी के न जाने कितने रूप देखे होंगे. लेकिन ताला और तहजीब की नगरी अलीगढ़ में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान बजरंगबली गिलहरी रूप में विराजमान हैं. यहां पर हनुमान जी को गिलहरी के नाम से पूजा जाता है. गांधी पार्क स्थित अचल सरोवर में 50 से अधिक देवी देवताओं के मंदिर बने हैं. यहीं पर हनुमान जी को समर्पित श्री गिलहराज जी महाराज मंदिर बना हुआ है. वैसे तो यहां 50 से ज्यादा मंदिर है लेकिन गिलहराज जी मंदिर की मान्यताएं सबसे ज्यादा है. हर मंगलवार को प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग श्री हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं.
सैकड़ों साल पहले हुआ था निर्माण
गिलहराज मंदिर की खोज सैकड़ों साल पहले महंत श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज ने करवाई थी. ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी महंत को सपने में दर्शन दिए थे और कहा कि मेरी पूजा करो. जब उस महंत ने अपने शिष्य को अचल सरोवर पर खोज करने के लिए भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत सारी गिलहरियां मिली. इसके बाद जैसे ही उस जगह को खोदा तो वहां जमीन के नीचे से मूर्ति निकली. यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी. जब महंत जी को इस बारे में बताया गया तो वह भी अचल सरोवर पर आ गए.
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महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
मंदिर से जुड़े महंत कौशल नाथ कहते हैं कि ऐसी भी मान्यता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने अचल सरोवर पर पूजा अर्चना की थी. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां 41 दिन दर्शन करने से जो भी मनोकामना होती है वह पूरी हो जाती है.
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