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सत्यप्रकाश/अयोध्या: जेएनयू के कुलपति शांति श्री धुलीपुड़ी के बयान से अयोध्या (Ayodhya) के संतो में काफी नाराजगी है. संत समाज ने जेएनयू (JNU) के कुलपति के बयान की निंदा करते हुए उन पर हमला किया है. दरअसल जेएनयू की कुलपति ने भगवान शिव को पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से आने की बात कही थी. इसके साथ ही उन्होंने सभी महिलाओं को शुद्र बताया है. जिसके बाद अयोध्या के संतों ने इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
महंत राजू दास ने किया पुरजोर विरोध
हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि समाज की व्यवस्था को सुदृण रखने के लिए वर्ण व्यवस्था को स्थापित किया गया था. लेकिन जेएनयू की कुलपति महोदया भगवान को जाति में बांट रही हैं. इनकी भाषा की पुरजोर विरोध और निंदा करते हैं. जेएनयू के कुलपति के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराया जाए. इसके साथ ही हिंदू संगठनों से आवाहन करते हुए राजूदास ने कहा कि ऐसे लोग जो सनातन धर्म पर लगातार हमला कर रहे हैं उनके ऊपर हर जिले में f.i.r. होनी चाहिए तभी यह लोग मानेंगे.
भगवान जाति से ऊपर हैं-परमहंस दास
तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस दास ने कहा कि भगवान जाति से ऊपर है. परमात्मा सब के हैं और इस तरह की टिप्पणी भगवान शिव के लिए बर्दाश्त नहीं की जाएगी. जगदगुरु परामहंसाचार्य ने कहा कि उनको सनातन धर्म की जानकारी नहीं है. पहले चारों वेदों को पढ़कर उसके बारे में पूरी जानकारी लें. तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर ने कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर कार्रवाई नहीं होती है तो जल्द ही संत समाज प्रधानमंत्री से मुलाकात कर जेएनयू से हटवाने के लिए प्रयास करेगा. जगदगुरु ने कहा कि सनातन धर्म के खिलाफ हर कोई अनाप-शनाप बोलता रहता है. अब यह नहीं चलेगा. सनातन धर्म का जो अपमान करेगा उसको साधु समाज माफ नहीं करेगा.
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