Lumpy Skin Disease: पशुओं में फैलने वाले जानलेवा वायरस लंपी को लेकर उत्तरप्रदेश के बाद उत्तराखंड पशु विभाग अलर्ट मोड पर है. उत्तराखंड के हरिद्वार में 35 पशु इस बीमारी की चपेट में आने से काल के गाल में समा चुके हैं. आइए जानते हैं क्या हैं लंपी बीमारी के लक्षण और पशुओं को कैसे इससे बचाया जा सकता है.
Trending Photos
आशीष मिश्रा/हरिद्वार: उत्तरप्रदेश के साथ ही उत्तराखंड से पशुओं में लंपी बीमारी फैलने की ख़बर सामने आ रही है. हरिद्वार के ग्रामीण इलाकों में इस बीमारी का कहर ज्यादा दिखाई पड़ रहा है. यहां अब तक 35 पशु इस बीमारी से मर चुके हैं. वहीं सैकड़ों पशु इस बीमारी से ग्रसित हैं. पूरे जिले की बात करें तो इस बीमारी के चलते दूध उत्पादन में भी 10 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसके चलते दूध की सप्लाई उत्तर प्रदेश से करवाई जा रही है. लक्सर के रायसी स्थित पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अमित चौधरी के मुताबिक क्षेत्र में यह बीमारी पहली बार देखने को मिली है.
टीकाकरण किया जा रहा है
यह एक वायरस जनित और बेहद भयानक रोग है. पशु चिकित्सा विभाग को इससे मुकाबले के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा कुछ दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं. इस पर काबू पाने की भरपूर कोशिश भी जारी है. पशु चिकित्सकों द्वारा गांव-गांव जाकर कैंप लगाकर वैक्सीनेशन कराया जा रहा है. इस बीमारी में पशुओं के शरीर पर मोटे-मोटे फफोले पड़ जाते हैं. यह धीरे-धीरे बड़े घाव का रूप ले लेता है. इससे पशुओं की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ जाती है. पशु पालक इस बिमारी को लेकर गहरी चिंता में हैं. क्षेत्र में फैल रही इस बीमारी से पशु चिकित्सा विभाग भी अलर्ट मोड में है. पशु मालिकों को जागरुक किया जा रहा है कि वह बीमार मवेशी के पास जाने से पहले पीपीई किट का उपयोग करें.
यह भी पढ़ें: Bagwal Mela :रक्षाबंधन के दिन यहां खेला जाएगा पत्थरों से युद्ध, मां बाराही मेला शुरू
संक्रामक बीमारी है लंपी
पशु चिकित्सकों के मुताबिक लंपी पशुओं में होने वाला त्वचा रोग है. यह एक पशु से दूसरे में फैलता है. इस संक्रामक बीमारी के लिए मच्छर, मक्खी, जूं वाहक का काम करते हैं. लंपी से ग्रसित पशु के शरीर में छोटी-छोटी गठानें बन जाती हैं. कुछ दिन में यह घाव के रूप में दिखने लगता है. इसके प्रारंभिक लक्षणों में पशु चारा खाना कम कर देता है. लंपी की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता में तेजी से गिरावट आती है और जानवर की मृत्य भी हो सकती है.