Bagwal Mela 2022: उत्तराखंड संस्कृति और संस्कार का प्रदेश है. यहां चम्पावत जनपद के देवीधुरा में लगने वाले मां बाराही धाम के बग्वाल मेले का 8 जुलाई को शुभारंभ हो गया. 19 अगस्त तक आयोजित होने वाले इस मेले के दौरान पत्थर युद्ध भी होगा. आस्था के इस नजारे को देखने देश भर से लोग देवीधुरा पहुंचते हैं.
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ललित मोहन भट्ट/चंपावत: चम्पावत जनपद के देवीधुरा में लगने वाले मां बाराही धाम के बग्वाल मेले का 8 जुलाई को पूरे विधि विधान से शुभारंभ हुआ. यह मेला 19 अगस्त तक चलेगा. उत्तराखंड वन विकास निगम के अध्यक्ष कैलाश गहतोड़ी ने पूरे पूजा पाठ कर मेले का शुभारंभ किया. इस मेले में होने वाली सुप्रसिद्ध पत्थर होली अर्थात बग्वाल 12 अगस्त रक्षाबंधन के दिन खेली जाएगी. कोरोना काल में दो साल से प्रतीकात्मक बग्वाल आयोजित की जा रही थी. लेकिन इस बार मेले का भव्य रूप से आयोजन किया गया है. मेले में धार्मिक कार्यक्रम के अलावा सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की जा रही हैं. मेले के लिए मां बाराही देवी के मंदिर को आठ क्विंटल फूलों से सजाया गया.
राजकीय मेला घोषित
मेले का उद्घाटन करने पहुंचे वन विकास निगम के अध्यक्ष कैलाश गहतोड़ी ने कहा की माता बाराही की कृपा है की प्रदेश को पुष्कर सिंह धामी जैसा मुख्यमंत्री मिला है. उन्होंने कहा कि कुमाऊं क्षेत्र के सभी मंदिरों एवं तीर्थ स्थलों को सामूहिक रूप से विकसित किया जाए. आने वाले समय में आप देखेंगे की क्षेत्र के जितने भी तीर्थ स्थल हैं, उनमें आवश्यकता अनुसार विकास कार्य किए जाएंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी (Pushkar Dhami) ने देवीधुरा में लगने वाले मां बाराही मेले को राजकीय मेला घोषित किया है.
उत्तराखंड के कुमाऊं संभाग के चंपावत जनपद में राखी के अवसर पर बग्लाव (पाषाण युद्ध) खेला जाएगा. यह आयोजन देवीधुरा के खोलीखाड़ी मैदान में होता है.ऐसी मान्यता है कि इससे देवी खुश होती हैं. पत्थरों से खेले जाने वाले युद्ध के दौरान जय मां बाराही का जयकारा लगता है. लाखों लोग इस युद्ध को देखने आते हैं. इस खेल को खेलने वालों को को बग्वाली कहा जाता है. यह सुंदर साफे में सजकर आते हैं. उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपरा में बग्वाल मेले की विशेष पहचान है.