Menstrual Hygiene Day 2022: 'विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस' क्यों है खास, जानें इसकी वजह और इससे जुड़ा इतिहास
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Menstrual Hygiene Day 2022: 'विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस' क्यों है खास, जानें इसकी वजह और इससे जुड़ा इतिहास

लगभग 13 साल की उम्र की लड़की से लेकर 50 साल की महिला तक हर महीने मासिक धर्म से गुजरती हैं. इस दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. आज भी देश में गांवों से शहरों तक कई ऐसी लड़कियां और महिलाएं हैं, जो पीरियड्स की कई महत्वपूर्ण जानकारी से अनजान हैं. 28 मई को वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे सभी महिलाओं और लड़कियों में उन दिनों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है. 

Menstrual Hygiene Day 2022: 'विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस' क्यों है खास, जानें इसकी वजह और इससे जुड़ा इतिहास

Menstrual Hygiene Day 2022: हर साल 28 मई को वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे यानी विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. लगभग 13 साल की उम्र की लड़की से लेकर 50 साल की महिला तक हर महीने मासिक धर्म से गुजरती हैं. इस दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. आज भी देश में गांवों से शहरों तक कई ऐसी लड़कियां और महिलाएं हैं, जो पीरियड्स की कई महत्वपूर्ण जानकारी से अनजान हैं. 28 मई को वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे सभी महिलाओं और लड़कियों में उन दिनों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है. 

वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे का इतिहास
मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाने की शुरुआत साल 2014 में जर्मनी के 'वॉश यूनाइटेड' नाम के एक NGO ने की थी. इस विशेष दिन को मनाने के लिए तारीख चुनने की वजह भी बेहद खास है. आमतौर पर पीरियड्स साइकिल 28 दिन का माना जाता है यही वजह है कि इसे मनाने के लिए 28 मई को चुना गया. 

वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे 2022 की थीम
आज भी देश में महिलाओं का एक ऐसा वर्ग है, जो पीरियड्स को सामान्य नहीं समझता. इस दौरान यूज होने वाले प्रोडक्‍ट को खरीदनें में शर्म महसूस करता है. इसे दूर करने के लिए इस साल मेन्सट्रुअल हाइजीन डे की थीम '2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य तथ्य बनाना' है. इस थीम का उद्देश्य 2030 तक एक ऐसी दुनिया को बनाना है, जहां बिना किसी शर्म और झिझक के सभी लड़कियां और महिलाएं मासिक धर्म के दौरान जरूरी प्रोडक्ट को खरीद सकें. 

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भारत में क्या है स्थिति
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक,15-24 वर्ष की आयु वर्ग में भारत में 64 प्रतिशत महिलाएं सेनेटरी नैपकिन, 50 प्रतिशत कपड़े और 15 प्रतिशत स्थानीय तौर से तैयार नैपकिन का उपयोग करती हैं. कुल मिलाकर, इस आयु वर्ग की 78 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म से बचाव के लिए एक स्वच्छ विधि का उपयोग करती हैं. स्थानीय रूप से तैयार किए गए नैपकिन, सेनेटरी नैपकिन, टैम्पोन और मेन्स्ट्रुअल कप पीरियड्स के लिए स्वच्छ तरीके माने जाते हैं. आंकड़ों के अनुसार, मासिक धर्म के बारे में महिलाओं में वक्त के साथ जागरूकता आई है. 

इसलिए है खास
मेन्सट्रुअल हाइजीन आज भी एक ऐसा मुद्दा है, जहां महिलाएं खुलकर बात नहीं कर पातीं. ऐसे में पीरियड्स के दौरान किन बातों को ध्‍यान रखना है या किसी तरह की समस्‍या का कारण क्‍या है, साफ- सफाई की मदद से कैसे और किन बीमारियों से बचा जा सकता है, ये सभी जानकारियां उन्‍हें मिल ही नहीं पाती. ऐसे में वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे पर कोशिश की जाती है कि लोगों को ये बताया जा सके कि मासिक धर्म एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है. जिस पर घर और समाज में खुलकर बात करने की जरूरत है, जिससे महिलाओं और बच्चियों को गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके.

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