Mirzapur News: कहते हैं जब कुछ करने का जज्बा हो तो वह उम्र नहीं देखता. ऐसा ही कुछ मिर्जापुर के नौवीं में पढ़ने वाले चार छात्रों ने कर दिखाया है, जिन्होंने सैनिकों को सर्दियों में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए खास जूते बनाए हैं.
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राजेश मिश्र/मीरजापुर: यूपी के मीरजापुर में कुछ महीने पहले कड़ाके की ठंड में स्कूल आते समय नौवीं क्लास के छात्रों के पैर की चमड़ी सिकुड़ गई. यह देख बालमन बर्फ़ीले क्षेत्र की सीमाओं पर डटे जवानों की हालत की सोच कर ही सिहर उठे. इसी के साथ वंडर शूज बनाने का सपना जागा और बना डला ऐसा वंडर शूज जो पैरों को गर्म रखने के साथ ही लैंडमाइंस के खतरे पर भी अलर्ट देगा. सैनिकों के लिए वंडर शूज का निर्माण कछवां स्थित स्वामी विवेकानंद एकेडमी में पढ़ने वाले चार मित्रों ने किया.
सैनिकों का दर्द सोचकर मन में आया शूज बनाने का ख्याल
नौवीं कक्षा के चार छात्र आदर्श सिंह, विनायक राज, कौशिक पांडेय और सागर सिंह जाड़े में स्कूल आ रहे थे. ऊनी वस्त्र पहनने के बावजूद पैर में ठण्ड लग रही थी. घर जाने पर उन्होंने जूता उतारा तो ठंड के कारण पैर की चमड़ी सिकुडी हुई थी. सोचा कि मैदानी क्षेत्र में जब यह हाल है तो बर्फ के ऊपर पहाड़ी चोटी वाले सियाचिन की सीमा पर तैनात जवानों का हाल क्या होगा. माइनस 30- 40 डिग्री सेल्सियस में आखिर वह कैसे डियूटी करते होंगे. सैनिकों का दर्द सोचकर बच्चों ने अपनी व्यथा अध्यापक से की.
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छात्रों की मेहनत लाई रंग
बालमन की व्यथा और उनके जज्बे को नमन करते हुए वह समस्या के समाधान की तलाश में जूट गए. छात्रों की मेहनत रंग लाया. इस प्रकार बैटरी के सहारे जूते को अंदर से गर्म रखने वाला वंडर शूज बनकर तैयाए हो गया. अपनी इस उपलब्धि से छात्र गदगद हैं. उनका मानना है कि इस प्रकार के जूते का प्रयोग कर सीमा पर तैनात जवान अपने पैरों को गर्म रखने के साथ ही अपनी डयूटी आराम से कर सकेंगे.
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जूते में लगा है सेंसर, बनाने में आई इतनी लागत
इतना ही नहीं जूते के आगे लगा सेंसर उन्हें आगे लैंडमाइंस के खतरों से भी सचेत करेगा. खास जूते को तैयार करने में बैटरी, स्विच,हीटिंग कोआयल,थर्मोस्टेट का प्रयोग किया गया है. जिसे बनाने में कुल 1,200 रुपये की लागत लगी. जिसे बनाने में चार दिन लगा. विद्यालय के अध्यापक ऋषि कांत उपाध्याय एवं प्रधानाचार्य सुजॉय चक्रवर्ती ने बच्चों को प्रोत्साहित किया.