National Herald Case: लखनऊ के कैसरबाग चौराहे के पास स्थित हेराल्ड हाउस में कई दुकानें बंद हैं, लेकिन बियर की दुकान चल रही है. ईडी द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद सुर्खियों में आए नेशनल हेराल्ड की लखनऊ स्थित संपत्ति की छापेमारी में कई खुलासे हुए हैं.
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लखनऊः नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में एक के बाद एक प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) का एक्शन देखने को मिल रहा. इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है. दूसरी तरफ कांग्रेस ईडी के एक्शन पर लगातार सवाल खड़े कर रही है. वहीं, ईडी के एक्शन और छापेमारी के दौरान कई चौकाने वाले खुलासे हो रहे है. ऐसा ही एक मामला तब सामने आया जब ईडी की टीम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंची.
ईडी ने लखनऊ के कैसरबाग चौराहे के पास स्थित हेराल्ड हाउस में छापेमारी की, जब ईडी की टीम यहां पहुंची तो इस बिल्डिंग में मयखाना मिला और बड़े ही धड़ल्ले से बियर शॉप चल रही थी. वहीं, बाकी दुकानों पर ताले जड़े हुए थे. आइए आपको बताते हैं कि ईडी को यहां और क्या-क्या मिला
नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस मुश्किल में
इससे पहले ईडी की टीम दिल्ली में हेराल्ड बिल्डिंग में छापेमारी कर चुकी है. बुधवार को ED ने दिल्ली की हेराल्ड बिल्डिंग में स्थित यंग इंडियन ऑफिस को सील कर दिया, जिसके बाद से हंगामा मचा है. इस बीच गुरुवार को फिर से ईडी की टीम ने नेशनल हेराल्ड के ऑफिस में छापेमारी कर दी. जानकारी के मुताबिक लखनऊ में कैसरबाग चौराहे के पास स्थित इस बिल्डिंग का नाम नेहरू मंजिल है. हेराल्ड हाउस की इस इमारत में बियर शॉप चल रही है.
आपको बता दें कि इस बिल्डिंग में कई दुकानें बंद हैं, लेकिन बियर की दुकान चल रही है. ईडी द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद सुर्खियों में आए नेशनल हेराल्ड की लखनऊ स्थित संपत्ति की छापेमारी में कई खुलासे हुए हैं. यहां नेशनल हेराल्ड को चैरिटी के लिए दी गई जगह पर शाम को मयखाना सजता है.
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नेहरू मंजिल की ज्यादातर दुकानों पर जड़े हैं ताले
बता दें कि इस दो मंजिला बिल्डिंग में 207 दुकानें है, जिसमें से ज्यादातर दुकानों पर किसी न किसी का ताला जड़ा हुआ है. कुछ ने दुकानों को स्टोर बना लिया है. दुकानों पर बोर्ड लगे हैं, जिससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां पर कोई व्यवसाय चल रहा था. जानकारी के मुताबिक इस मंजिल में मात्र दो दुकानों का ही किराया मिल रहा है, बाकी दुकानों से हो रही आमदनी में गड़बड़ नजर आ रही है.
नगर निगम के अभिलेख में नहीं है इन दुकानों का जिक्र
बताया जा रहा है कि बिल्डिंग की देखरेख कर रहे संजीव कुमार से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि दिल्ली कार्यालय से जानकारी लीजिए. जानकारी के मुताबिक संजीव ने बस यही बताया कि दो दुकानों का किराया जमा हो रहा है. बाकी की दुकानों के बारे में बताने से मना कर दिया. बताया जा रहा है कि नगर निगम के अभिलेख में भी इन दुकानों का कोई जिक्र नहीं है.
दुकानों के बारे में सही जानकारी देने वाला कोई नहीं
जानकारी के मुताबिक यहां पीछे की ओर टेंट हाउस चल रहा है. यहां एक गैराज भी चल रहा है. कुछ लोगों के मुताबिक इस बिल्डिंग में अवैध कब्जेदारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक कर्मचारी को हटा दिया गया था. जानकारी के मुताबिक अवैध कब्जेदारों की रकम दिल्ली जाती है.
ऐसी है बिल्डिंग की हालत
आपको बता दें कि लखनऊ में नेहरू मंजिल कैसरबाग चौराहा जाने वाली मेन रोड के किनारे है, लेकिन अब इसकी चमक काली पड़ गई हैं तो अंदर घुसते ही अंधेरा-अंधरा ही दिखाई देता है. पहली मंजिल, भूतल और बेसमेंट में बनीं दुकानों में किसी न किसी का कब्जा है.
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