कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए अदालत ने राजनीति पार्टियों द्वारा भीड़ एकत्रित कर चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की भी अपील की. अदालत ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार टीवी व समाचार पत्रों के माध्यम से करें.
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कराने को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. उच्च न्यायालय ने भारतीय निर्वाचन आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विधानसभा चुनाव टालने पर विचार करने का आग्रह किया है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने शुक्रवार को मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि ओमिक्रॉन कोई खतरनाक मामला नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों निर्देश दिया है?
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के लिए प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा, ''यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है की उच्च न्यालय में ऐसे मांग पर नोटिस ले रहा है. मेरी मांग है, सर्वोच्च न्यायलय से अनुरोध है की वह खुद एक्शन ले. उत्तर प्रदेश में जनमानस पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ है. हो सकता है की इसलिए चुनाव टालने की कोशिश कर रहे हैं. रही बात कोरोना की तो कुछ खतरा नहीं है, सब ठीक है.'' दरअसल, जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते संक्रमण के बीच यूपी विधानसभा चुनाव कराने के फैसले पर विचार करने के लिए कहा था. अदालत ने कहा था कि जान है तो जहान है.
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कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए अदालत ने राजनीति पार्टियों द्वारा भीड़ एकत्रित कर चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की भी अपील की. अदालत ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार टीवी व समाचार पत्रों के माध्यम से करें. इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी के बारे में भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश में चुनाव टलेंगे या अपने समय पर होंगे इस बारे में अगले हफ्ते फैसला होगा. इस बीच चुनाव आयोग ने 29 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को मीटिंग के लिए लखनऊ बुलाया है.
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