ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण में ये साल यानी 2023 बेहद महत्वपूर्ण होगा. इस साल रेल विकास निगम ने 16 से 20 स्थानों पर सुरंगों को आरपार करने का लक्ष्य रखा है.
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गणेश रायल/ऋषिकेश: उत्तराखंड के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर तेजी से काम जारी है. 16216 करोड़ की लागत से बन रही ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर अब तक 10748.29 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है. पूरी परियोजना की बात करें तो अब तक परियोजना पर 35 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी लंबी इस परियोजना में 104 किमी रेल लाइन 17 सुरंगों से होकर गुजरेगी. इन 17 सुरंगों के अलावा परियोजना पर 12 निकास सुरंगों के अलावा एडिट और क्रास पैसेज भी हैं, जिन्हें मिलाकर सुरंगों की कुल लंबाई 213 किमी है.
रेल विकास निगम कर रहा काम
हिमालयी क्षेत्र में बन रही इस परियोजना में सुरंगों की खुदाई सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है. इस चुनौती में अभी तक रेल विकास निगम बड़ी तेजी और सावधानी के साथ आगे बढ़ रहा है. परियोजना में सबसे अधिक तेजी सुरंगों के निर्माण में ही नजर आ रही है. कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर अब तक सभी सुरंगों में कुल 86 किमी की खुदाई पूरी हो चुकी है. रेल विकास निगम ने इन सुरंगों की खुदाई के लिए कुल 44 फेज पर काम शुरू किया था, जिनमें से चार फेज में काम पूरा हो चुका है. यानी चार जगह सुरंगें आरपार हो चुकी हैं. वर्तमान में 40 फेज में सुरंगों की खोदाई का काम जारी है. रेल विकास निगम की माने तो इस वर्ष यानी 2023 में रेल परियोजना में 16 से 20 सुरंगें आरपार हो जाएंगी.
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देश की सबसे लंबी डबल ट्यूब सुरंग
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर देवप्रयाग से सौड़ से जनासू तक देश की सबसे लंबी (14.5 किमी) रेल सुरंग बनने जा रही है. यह सुरंग डबल ट्यूब होगी. यानी यहां रेलगाडियों के आने और जाने के लिए अलग-अलग दो सुरंगों का निर्माण किया जाएगा. इन दोनों सुरंगों के निर्माण के लिए टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) मंगाई गई हैं. एक टीबीएम ने दिसंबर 2022 में देवप्रयाग से सौड़ से खुदाई का काम शुरू कर दिया था. जबकि दूसरी टीबीएम अलग-अलग हिस्सों में यहां पहुंच चुकी है और वर्तमान में इसे रिइस्टाल किया जा रहा है.
अंतिम चरण में कई प्रोजेक्ट
मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि दूसरी टीबीएम के इस्टालेशन का काम अंतिम चरण में है. यह मशीन फरवरी के दूसरे सप्ताह से काम शुरू कर देगी. उन्होंने बताया कि इन दोनों सुरंगों में टीबीएम के अलावा कुछ हिस्से में आस्ट्रेलियन टनल बोरिंग मैथड से भी खुदाई का कार्य किया जाएगा. जिसके लिए यहां एक वर्टिकल शाफ्ट (कुआंनुमा सुरंग) भी तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया कि टीबीएम से सुरंग की खोदाई का काम औसतन 15-20 मीटर प्रतिदिन किया जा रहा है.
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