दादी इंदिरा के शहादत दिवस पर आज योगी के गढ़ गोरखपुर में गरजेंगी प्रियंका
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दादी इंदिरा के शहादत दिवस पर आज योगी के गढ़ गोरखपुर में गरजेंगी प्रियंका

प्रियंका ने योगी के गढ़ में सेंध लगाने ऐसा दिन चुना है, जिस दिन उन्हें भीड़ जुटाने में काफी फायदा मिल सकता है.

दादी इंदिरा के शहादत दिवस पर आज योगी के गढ़ गोरखपुर में गरजेंगी प्रियंका

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस (Congress) के अब तक चल रहे ठंडे कैंपेन (compaing) को गति देने के लिए प्रियंका गांधी आज सीएम आदित्यनाथ योगी के गढ़ गोरखपुर (Gorakhpur) में रैली (Rally) करने जा रही हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की वापसी की प्रतिज्ञा लेकर प्रतिज्ञा रैली निकालने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने योगी के गढ़ में सेंध लगाने के लिए ऐसा दिन चुना है, जिस दिन उन्हें भावनात्मक तौर पर और भीड़ जुटाने में काफी फायदा मिल सकता है. यह दिन है देश की पूर्व प्रधानमंत्री और प्रियंका (Priyanka) की दादी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की पुण्यतिथि का. आज 31 अक्टूबर के दिन ही साल 1984 में इंदिरा गांधी की उनके ही सुरक्षाकर्मियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

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 इससे पहले प्रियंका प्रधानमंत्री मोदी के गढ़ वाराणसी में भी रैली कर चुकी हैं और वहां उनको सुनने काफी भीड़ आई थी. उस रिस्पॉन्स को देखते हुए प्रियंका ने योगी के गढ़ में जाकर उनको चुनौती देने के लिए यह खास दिन चुना है.
 राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी को अपनी इस महत्वपूर्ण रैली के लिए दादी की शहादत का दिन चुनने से तात्कालिक फायदा तो मिल सकता है पर इसके लंबे लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती. गांधी परिवार की पूर्व की बड़ी सभाओं और रैलियों पर नजर डालें तो वे अक्सर भावनात्मक ज्वार उठाने के लिए ही जाने जाते हैं. प्रियंका इस बार भी इस रैली के जरिए कुछ ऐसा ही करने की उम्मीद लगा रही है.

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छग के सीएम बघेल पर बड़ी जिम्मेदारी 
प्रियंका की आज की रैली को सफल बनाने की जिम्मेदारी यूपी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल पर भी है. पार्टी ने सीएम बघेल के मैनेजमेंट और कार्यक्षमता को देखते हुए उन्हें यूपी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी है. उनका काम वरिष्ठ नेताओं की सभाओं का मैनेजमेंट देखने और आसपास के जिलों से लोगों और कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने का है. इन कामों के लिए पार्टी को अनुभवी व्यक्ति की जरूरत होती है और बघेल को इसके काबिल माना जा रहा है. वह असम जैसे छोटे राज्य मेंं अपनी क्षमता दिखाकर आ चुके हैं. वह वहां 100 से ज्यादा सफल सभाएं करवा पाए थे तो यूपी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए सफल सभाएं करवाना उनके लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है.

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