UP Election Virtual Rally: अब वोटर्स को साधने के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थक टेक्निकल एडवाइजर्स से राय लेते हैं. इसी बीच सोशल मीडिया मार्केटर, डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर, कंटेंट स्ट्रटेजिस्ट को ज्यादा तवज्जो मिलने लगा है. यूट्यूब, फेसबुक, लिंकड-इन, इंस्टाग्राम , जीमेल, व्हॉट्सएप मैसेज- ग्रुप्स, टेलीग्राम, आदि के माध्यम से वोटर्स की नजरों और दिमाग में अपनी जगह बनाई जा रही है...
Trending Photos
UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की तैयारियां तेज हैं. लेकिन, प्रचार-प्रसार पहले की तरह होता नहीं दिख रहा. क्योंकि चुनाव प्रचार पर भी कोरोना की मार देखी जा सकती है. ऐसे में भौतिक रूप से रैलियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है और केवल इंटरनेट के माध्यम से प्रसार करने को कहा गया है. इसलिए अब मतदाताओं को डिजिटली साधने की कोशिश की जा रही है. अब सड़कों की जगह सोशल मीडिया साइट्स पर हलचल बढ़ गई है. वहीं, इंटरनेट के जरिए चुनावी पार्टियां अपने वोटरों को सीधे टारगेट कर सकती हैं.
राज्यमंत्री गुलाब देवी को टिकट मिलने से नाराज युवक चढ़ा टैंक पर, दी कूदने की धमकी
डिजिटल माध्यम पर प्रचार के तरीके भी अलग
अब वोटर्स को साधने के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थक टेक्निकल एडवाइजर्स से राय लेते हैं. इसी बीच सोशल मीडिया मार्केटर, डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर, कंटेंट स्ट्रटेजिस्ट को ज्यादा तवज्जो मिलने लगा है. यूट्यूब, फेसबुक, लिंकड-इन, इंस्टाग्राम , जीमेल, व्हॉट्सएप मैसेज- ग्रुप्स, टेलीग्राम, आदि के माध्यम से वोटर्स की नजरों और दिमाग में अपनी जगह बनाई जा रही है. डिजिटल रणनीतिकारों को अब नई ड्यूटी मिली है. प्रत्याशियों के प्रचार के लिए अलग-अलग कैटेगिरी के तहक एडवरटाइज किया जाता है. किस प्रकार के प्रचार के लिए कैसा पोस्टर बनेगा, वीडियो और कंटेंट में क्या होगा, यह सब तैयार करना होता है.
चारा काटने वाली मशीन से निकला कुछ ऐसा कि गांव वालों के उड़ गए होश! पुलिस भी देखकर हैरान
सोशल मीडिया का रोल क्यों बढ़ा
1. जानकारी के मुताबिक, सोशल मीडिया से एरिया और उसकी जनसंख्या को आसानी से टारगेट किया जा सकता है.
2. फिजिकल रैली से अगर कंपेयर किया जाए, तो इसमें 10 गुना कम खर्च आता है और आसानी से हर घर को टारगेट किया जा सकता है.
3. वहीं, जेंडर के हिसाब से भी अलग-अलग तरीकों से जनता को साधा जा सकता है. सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स राजनेताओं की डिजिटल रैलियों को अलग-अलग तरीकों से महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और युवाओं तक पहुंचा सकते हैं.
4. हालांकि, कंटेंट क्रिएशन एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन चला है. क्योंकि रैलियों में तो प्रत्याशी अपनी बात सामने रखकर जनता को लुभा सकते हैं, लेकिन वर्चुअली ऐसा कर पाना थोड़ा मुश्किल है.
WATCH LIVE TV