Smart Meter in UP: यूपी के स्मार्ट मीटर 'स्मार्ट' ही नहीं, मोदी सरकार की रिपोर्ट से बिजली विभाग में मची खलबली
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Smart Meter in UP: यूपी के स्मार्ट मीटर 'स्मार्ट' ही नहीं, मोदी सरकार की रिपोर्ट से बिजली विभाग में मची खलबली

Prepaid Smart Meter in UP: यूपी के स्मार्ट मीटर 'स्मार्ट' ही नहीं हैं. केंद्र सरकार की रिपोर्ट से बिजली विभाग से लेकर विद्युत उपभोक्ताओं में हड़कंप मच गया है. विद्युत उपभोक्ता परिषद भी इस पर सवाल उठा रहा है.

Electricity Bill prepaid meters in Uttar Pradesh

Prepaid Meters in UP: लखनऊ/ नितीश पांडेय : उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग द्वारा घर-घर जो स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, असल में वो स्मार्ट नहीं है.खुद केंद्र सरकार की रिपोर्ट ने बिजली विभाग से लेकर विद्युत उपभोक्ताओं के बीच हड़कंप मचा दिया है. भारत सरकार की रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि स्मार्ट मीटर इतने अपग्रेड लेवल के नहीं हैं कि उन्हें प्रीपेड स्मार्ट मीटर कहा जा सके. जी मीडिया के पास भारत सरकार की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट है. रिपोर्ट आने के बाद बिजली महकमे में खलबली मची है. विद्युत उपभोक्ता परिषद भी इसको लेकर सवाल उठा रहा है.

यह पत्र केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन (UPPCL) लिमिटेड को भेजा गया है. इसमें साफ तौर पर गया है कि यह पत्र उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों यानी डिस्कॉम (Discom) की ओर से लगाए गए स्मार्ट मीटर के विभिन्न मानकों के संबंध में है. इसमें स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को लेकर ग्राहकों की शिकायतों, मीटर इंस्टालेशन के तरीकों, बिलिंग की शुद्धता, स्मार्ट प्रीपेड मीटर की परफारमेंस, ज्यादा लोड से जुड़ी पेनॉल्टी जैसे मुद्दों पर गौर किया गया है. अधिकारियों ने इन सभी पैमानों पर स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता को परखा है. 

पत्र की बड़ी बातें...

इसमें कहा गया है कि बिलिंग इंजन का एमडीएम से इंटीग्रेशन छह माह से ज्यादा पेंडिंग है. इस कारण कर्मचारियों के स्तर पर मैनुअली बिलिंग की जा रही है. यह स्वचालित तरीके से उलट है. ऐसा पाया गया है कि यूपीपीसीएल और ईईसीएल-एलएंडटी के बीच  विवाद के कारण यह देरी हो रही है. 

एसएमएस अलर्ट में भी तीन से छह माह की देरी हो रही है, इससे उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 

चेक मीटरों से जुड़ी गाइडलाइनों का पालन नहीं किया जा रहा है. चेक मीटर्स के इंस्टालेशन के लिए उपभोक्ताओं से पैसा लिया जा रहा है. 

स्मार्ट मीटर और चेक मीटर के बीच अंतर को सुलझाने के मामले में कोई एसओपी का पालन नहीं किया गया

कई मामलों में बिजली उपभोक्ता पर जरूरत से ज्यादा पेनॉल्टी लगाई गई

मोबाइल एप में स्मार्ट मीटर का लो बैलेंस अलर्ट का फीचर ही नहीं है. 

स्मार्ट मीटर के नेटवर्क और कनेक्टिविटी इश्यू से जुड़ी समस्याएं लगातार देखी जा रही हैं. 

 

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