UPPCS 2022 टॉपर दिव्या सिकरवार थी दो साल से कमरे में बंद, घरों में जश्न का माहौल
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UPPCS 2022 टॉपर दिव्या सिकरवार थी दो साल से कमरे में बंद, घरों में जश्न का माहौल

UPPSC Topper 2022 Divya Sikarwar: यूपीपीएससी ने पीसीएस के नतीजे घोषित कर दिए हैं. फर्स्ट रैंक आगरा की दिव्या सिकरवार ने हासिल की है. इस परीक्षा में कुल 1071 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिसमें केवल 364 को सफलता मिली है.

UPPCS 2022 टॉपर दिव्या सिकरवार थी दो साल से कमरे में बंद, घरों में जश्न का माहौल

UPPCS 2022 Topper: यूपीपीएससी ने पीसीएस ( UPPCS Result 2022 ) के नतीजे घोषित कर दिए हैं.  टॉपर लिस्ट की बात करें, तो बेटियों ने बाजी मारी है. वहीं, टॉप-10 में आगरा की 2 बेटियों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से कपनी जगह बनाई है. वहीं, फर्स्ट रैंक आगरा की दिव्या सिकरवार ( Divya Sikarwar ) ने हासिल की है. वहीं, 9वें स्थान पर एश्वर्या दुबे रहीं. टॉप करने के बाद सभी के घरों में जश्न का माहौल है. 

जानकारी के मुताबिक यूपीपीसीएस मेन्स एग्जाम बीते 27 सितंबर से 01 अक्तूबर 2022 को लखनऊ, गाजियाबाद और प्रयागराज के अलग-अलग परीक्षा केंद्रों पर आयोजित किया गया था. इस परीक्षा में कुल 1071 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिसमें केवल 364 को सफलता मिली है.

आइए बताते हैं कौन हैं दिव्या सिकरवार
आपको बता दें कि दिव्या सिकरवार ताज नगरी आगरा की रहने वाली हैं. वह आगरा के एत्मादपुर तहसील के रामी गढ़ी गांव की रहने वाली हैं. जानकारी के मुताबिक उनके पिता राजपाल सिक्रवार ने सेना में रहकर भारत माता की रक्षा की है. वहीं, अगर दिव्या की शिक्षा की बात करें, तो उन्होंने आगरा सेंट जॉन्स कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन किया. फिलहाल, वह आरबीएस कॉलेज से बीएड कर रही हैं. दरअसल उन्होंने कोरोना को अवसर के रूप में लिया और अपनी तैयारी कोरोना काल में शुरू कर दी थी.

जानिए दिव्या ने क्या कहा
दिव्या की सफलता को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि ये उनका तीसरा प्रयास था. जब उन्होंने दो बार परीक्षा दी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी थी. उन्होंने कहा टॉप करने की उम्मीद नहीं थी लेकिन सेलेक्शन का पूरा यकीन था. दिव्या ने कहा कि वह सर्विस के दौरान पूरी ईमानदारी से जनता की सेवा करेंगी.

क्या दिव्या दो साल तक कमरे में बंद रहीं?
वहीं, दिव्या के पिता राजपाल सिक्रवार बेटी की सफलता पर बहुत खुश हैं. उन्होंने कहा कि बेटी ने बहुत मेहनत की है. उसका नतीजा सबके सामने है. उन्होंने कहा कि मैंने बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं किया. चाहे पढ़ाई या पालन-पोषण में सब बराबर. दिव्या को लेकर उन्होंने कहा कि बेटी का बचपन से ही पढ़ाई में मन लगता था. कड़ी मेहनत करने के लिए वह लगातार 2 साल तक कमरे में बंद रही. उसकी मेहनत और पढ़ाई आज रंग लाई है.

टीचर्स को थी दिव्या से काफी उम्मीद
आपको बताते हैं कि आप पर दिव्या से उनके टीचर को काफी उम्मीद थी. उनकी उम्मीदों पर भी बखरी उत्तरी हैं. दिव्या के शिक्षक जितेंद्र सिक्रवार ने बताया कि दिव्या को सभी विषय अच्छे लगते थे, वो पूरे लगन से पढ़ती थी. हम सभी को काफी उम्मीद थी कि दिव्या बहुत आगे जाएगी.  इस बात को उसने सही साबित किया है.

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