क्या प्रधानमंत्री मोदी के ये कदम उन्हें नोबल पुरस्कार दिलाएंगे?
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क्या प्रधानमंत्री मोदी के ये कदम उन्हें नोबल पुरस्कार दिलाएंगे?

ग्लोबलाइजेशन के चलते ‘ग्लोबल विलेज’ की कल्पना ने रूप लेना शुरू किया लेकिन वास्तव ग्लोबलाइजेशन यानि ‘ग्लोबल विलेज’ की संकल्पना का अर्थ पश्चिमी देशों के लिए बस एक ही था अपना व्यापार को पूरी दुनिया में फैलाना, मुनाफा कमाना और पूंजीपति अर्थव्यवस्था की झोली में और पूंजी भरना. लेकि

क्या प्रधानमंत्री मोदी के ये कदम उन्हें नोबल पुरस्कार दिलाएंगे?

विजय रावत/नई दिल्ली: ग्लोबलाइजेशन के चलते ‘ग्लोबल विलेज’ की कल्पना ने रूप लेना शुरू किया लेकिन वास्तव ग्लोबलाइजेशन यानि ‘ग्लोबल विलेज’ की संकल्पना का अर्थ पश्चिमी देशों के लिए बस एक ही था अपना व्यापार को पूरी दुनिया में फैलाना, मुनाफा कमाना और पूंजीपति अर्थव्यवस्था की झोली में और पूंजी भरना.

लेकिन जबसे प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की कमान संभाली है उन्होंने ना सिर्फ अपने देशवासियों की चिंता की है बल्कि वो दुनिया में किसी भी देश में जब भी कोई विपत्ति आती है तो वो विचलित हो जाते है. प्रधानमंत्री मोदी का हमेशा जोर रहा है कि ‘ग्लोबल विलेज’ की उस अवधारणा का पालन नहीं करना है जो पश्चिमी देशों ने दिखाई है जिसमें अपना आर्थिक हित निहित हो बल्कि भारत की “वसुधैव कुटुंबकम” की उस अवधारणा को साकार करना है, जिसमें सबका भला हो। और हम ये ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि इसकी तीन बड़ी वजह है जिसके कारण प्रधानमंत्री मोदी नोबल पुरस्कार के प्रबल दावेदार बनकर उभरे हैं....

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वजह नंबर 01 - प्रधानमंत्री मोदी का “वसुधैव कुटुंबकम” का सपना
हम सबसे पहले लेटेस्ट कारण पर नजर डालते है जिससे प्रधानमंत्री मोदी का नोबल पुरस्कार जितने का दावा और पुख्ता होता है:- दरअसल यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक खाद्य सुरक्षा और संकट के हालात पर चर्चा करने के लिए मंत्रिस्तरीय बैठक होने जा रही है. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस पेशकश पर विचार किया जाएगा, जो उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के साथ हुई वर्चुअल बैठक में की थी कि ‘मैं अमेरिका के राष्ट्रपति से बात कर रहा था तो उन्होंने भी इस गंभीर मुद्दे को उठाया. मैंने सुझाव दिया कि यदि डब्लूटीओ अनुमति देता है, तो भारत दुनिया को खाद्य भंडार की आपूर्ति करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.’
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 18 मई को संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत को आमंत्रित किया है जिसमें यूक्रेन-रूस से एशिया और अफ्रीका के गरीब देशों में उपजे भावी खाद्यान्न संकट से बचाने पर भारत से चर्चा होगी और अगर ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी की ये पेशकश उन्हें पूरी दुनिया में एक मसीहा के रूप में स्थापित कर देगी.

वजह नंबर 02 – यूक्रेन-रूस युद्ध रोकने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की तारीफ
प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के पारंपरिक सहयोगी होने के बावजूद यूक्रेन-रूस युद्ध रोकने के लिए रूस पर ना सिर्फ दवाब बनाया बल्कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन से लंबी बातचीत भी की. प्रधानमंत्री मोदी की तटस्थ और शांति स्थापना के प्रयासों की पूरी दुनिया में तारीफ हुई यही नहीं रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत एक बहुत महत्वपूर्ण देश है, वो रूस-यूक्रेन विवाद में मध्यस्थता कर सकता है. यही नहीं राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को थैंक्यू भी कहा.
रूस ही नहीं अमेरिका सांसद कैरोलिन मैलोनी ने एक इंटरव्यू में कहा कि , ”मुझे लगता है कि अभी मोदी यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के बीच शांति बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. मुझे लगता है यह एक पॉजिटिव मोटिव के लिए है.” यही नहीं, इस मामलें में यूक्रेन से लेकर तमाम यूरोपीय देशों ने प्रधानमंत्री की शांति के लिए उठाए गए कदमों की तारीफ की और अमूमन हर मामलें में भारत का विरोध करने वाले चीन को भी भारत की प्रशंसा करनी पड़ी.

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वजह नंबर 03 –  कोरोना वैक्सीन कूटनीति में दुनियाभर ने की मोदी जी की तारीफ
जब पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही थी यहां तक कि भारत में कोरोना अपना विकराल रूप दिखा रहा था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे संकट की घड़ी में अपने देशवासियों के साथ तो पूरी तरह से खड़े रहे ही बल्कि दुनिया के दूसरे देशों का साथ भी नहीं छोड़ा. कोरोना महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई की जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने अगुवाई की उससे पूरी दुनिया में उनकी तारीफ हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने इस संकट की घड़ी में दुनिया का साथ दिखाते हुए दवा, वैक्सीन और अन्य उपकरण देकर जरूरतमंद देशों की सहायता की. जिसके चलते 21 से 27 सितंबर 2021 तक आयोजित होने वाले UNGA के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए विश्व के कई राष्ट्राध्यक्षों ने भारत की तारीफ की. 
UNGA के 76वें सत्र में तारीफ करने वाले देशों में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी, नाउरू के राष्ट्रपति लियोनेल रूवेन एंगिमिया, नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मदु बुहारी, सेंट लुसिया के प्रधानमंत्री फिलिप पियरे, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के प्रधानमंत्री राल्फ गोंजाल्विस, घाना के राष्ट्रपति नाना अडो डंकवा अकुफो-अडो के साथ नेपाल और भूटान के प्रधानमंत्री ने भी मोदी सरकार को धन्यवाद कहा.

यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने ना जाने कितने ही कार्य “वसुधैव कुटुंबकम” की अवधारणा को साकार करते है जो उन्हें नोबल पुरस्कार मिलने की उनकी दावेदारी का समर्थन को और मजबूती प्रदान करता है.

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