उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के बाद लंबित 24 परियोजनाओं को बंद करने का फैसला किया है. सरकार ने तीन साल तक पहलुओं पर गहन अध्ययन के बाद ऐसा निर्णय लिया है. इसमें 600 मेगावाट से लेकर 2 मेगावाट की परियोजनाएं शामिल थीं.
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देहरादून: चमोली में आई आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के बाद लंबित 24 परियोजनाओं को बंद करने का फैसला लिया है. पर्यावरणीय नुकसान और अन्य सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए परियोजनाओं को बंद करने का निर्णय उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने किया गया है.
भागीरथी, असिगंगा, सियानगाड़, गंगा जैसी नदियों पर बनने वाली परियोजनाओं को पूरा नहीं किया जाएगा. इन परियोजनाओं को 2626 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाना था. इनमें 2 मेगावाट से 600 मेगावाट तक की विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं.
इन कंपनियों के थे प्रोजेक्ट
उत्तराखंड सरकार ने तीन साल तक पहलुओं पर गहन अध्ययन के बाद ऐसा निर्णय लिया है. इसमें 600 मेगावाट से लेकर 2 मेगावाट की परियोजनाएं शामिल थीं. इन परियोजनाओं में उत्तराखंड जल विद्युत निगम के साथ टीएचडीसी, एनटीपीसी, हर्षिल हाइड्रो, रामचन्द्र राव, एनएचपीसी, लैंको और पीइस इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट शामिल थे.
जल, जंगल और जमीन के लिए बंद करनी पड़ी योजनाएं
जल विद्युत निगम के एमडी संदीप सिंघल ने कहा कि 2013 में आई भीषण आपदा की यादें आज भी देश और दुनिया के लोगों के जेहन में ताजा हैं. इस आपदा के बाद प्रदेश में बनने वाली 70 जल विद्युत परियोजनाओं का बारीकी से अध्ययन कराया गया. इस अध्ययन में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के साथ ही ऊर्जा एवं अन्य विभाग भी शामिल हुए. करीब 3 साल तक चले गहन अध्ययन के बाद सरकार ने निर्णय लिया कि 70 में से 24 जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी हैं जिनका दुष्प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए इन 24 परियोजनाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया.
कई बार किया गया अध्ययन
जल विद्युत निगम के एमडी ने बताया इन 24 परियोजनाओं का अध्ययन एक बार नहीं बल्कि कई बार किया गया जिसके बाद ये बड़ा निर्णय लिया गया है कि जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए इन परियोजनाओं को बंद करना ही उचित होगा.
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