आजाद हिंद फौज के अंतिम सिपाही नहीं रहे, 103 साल की उम्र में बागेश्वर में निधन
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आजाद हिंद फौज के अंतिम सिपाही नहीं रहे, 103 साल की उम्र में बागेश्वर में निधन

बागेश्वर/ योगेश नागरकोटी| बागेश्वर जिले के आजाद हिंद फौज के एकमात्र स्वाधीनता सेनानी 102 वर्षीय राम सिंह चौहान का निधन हो गया है.आजाद हिन्द फ़ौज के ये सिपाही पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. स्वाधीनता सेनानी को जिला अस्पताल में भर्ती किया था. जहां उनका इलाज चल रहा था.

Ram Singh Chauhan Azad Hind Fauz

बागेश्वर/ योगेश नागरकोटी| बागेश्वर जिले के आजाद हिंद फौज के एकमात्र स्वाधीनता सेनानी 102 वर्षीय राम सिंह चौहान का निधन हो गया है.आजाद हिन्द फ़ौज के ये सिपाही पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. स्वाधीनता सेनानी को जिला अस्पताल में भर्ती किया था. जहां उनका इलाज चल रहा था. आज सुबह तीन बजे उनका जिला अस्पताल में निधन हो गया.सेनानी चौहान के पुत्र गिरीश चौहान ने बताया कि वह भोजन नहीं कर पा रहे थे.गरुड़ निवासी चौहान आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं.

वह गढ़वाल राइफल में तैनाती के दौरान ही सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया था. चौहान के वीरता के इलाके के सभी लोग कायल थे. सेनानी के बीमार होने की सूचना पर कई लोगों ने अस्पताल पहुंचकर उनकी सेहत की जानकारी ली थी. लोगों ने सेनानी के जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी. लेकिन आज सुबह तीन बजे उन्होंने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली.

22 फरवरी 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान के खून में ही वीरता भरी है. पिता तारा सिंह वर्ष 1940 में गढ़वाल राइफल्स में पौड़ी गढ़वाल में तैनात थे. इनके पिता ने पहला विश्व युद्ध लड़ा था. वही राम सिंह भी पिता की तरह वीर सैनिक थे वह गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे. देश में आजादी का आंदोलन चल रहा था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित राम सिंह चौहान वर्ष 1942 में अपने साथियों के साथ सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए.उन्होंने नेताजी के साथ मलाया, सिंगापुर, बर्मा आदि स्थानों पर देश की आजादी की लड़ाई लड़ी.

नेताजी के साथ मिलकर अंग्रेजों से दो-दो हाथ किए. अंग्रेजों की जेल में रहे. यातनाएं सहीं लेकिन अंग्रेजों के सामने झुके नहीं. देश आजाद हुआ. वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेनानी राम सिंह को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया. राम सिंह चौहान देश की वर्तमान व्यवस्था से काफ़ी दुखी थे . वह भ्रष्टाचार को आजादी पर कलंक मानते रहे है.

 

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