धरती के वैकुंठ कहे जाने वाले बद्रीनाथ पर देश- दुनिया के लाखों- करोड़ों लोगों की आस्था है. लेकिन कुछ लोगों ने भगवान की ही जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है. कब्जा करने वाले लोगों में उत्तराखंड ही नहीं कई अन्य राज्यों के लोग भी शामिल हैं.
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Uttrakhand News: आपने आज तक सिर्फ यही सुना होगा कि लोगों ने भगवान को या किसी मंदिर को इतने लाखों या करोड़ों का दान दिया. लेकिन बद्रीनाथ से आ रही खबर सबके होश उड़ाने वाली है. भगवान बद्रीनाथ में हर साल भक्त लोखों करोंड़ों का चढ़ावा दान करते हैं. इस मंदिर में लोग अपनी जमीन भी दान करते हैं. इसी दान की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है.
साक्षात नारायण की जमीन पर कब्जा
धरती के वैकुंठ कहे जाने वाले बद्रीनाथ पर देश- दुनिया के लाखों- करोड़ों लोगों की आस्था है. लेकिन कुछ लोगों ने भगवान की ही जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है. कब्जा करने वाले लोगों में उत्तराखंड ही नहीं कई अन्य राज्यों के लोग भी शामिल हैं.
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भगवान तक को नहीं छोड़ते लोग
भगवान बद्रीनाथ में लोग सिर्फ पैसा ही दान नहीं करते. बद्रीनाथ भगवान पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु यहां पर सोना, चांदी और जमीन तक दान करते हैं. बद्रीनाथ मंदिर के नाम पर ऐसी दान वाली जमीन पूरे देश में मौजूद है. महाराष्ट्र, हल्द्वानी, रामनगर, देहरादून, लखनऊ, चमोली, बामणी गांव आदि कई स्थानों पर मदिर के नाम पर जमीन है. खबर ये है कि इनमें से कुछ जगहों पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है.
पहले दान दिया फिर वापस ले लिया
मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में एक परिवार ने पहले तो मंदिर को जमीन दान दी और फिर खुद ही उस पर कब्जा कर लिया. मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे का यह इकलौता मामला नहीं है. कुछ लोगों ने तो कब्जे की जमीन के नकली कागज तक बना रखे हैं.
उत्तराखंड में ही नहीं हो रही बद्रीनाथ भगवान की सुनवाई
1948 में रामनगर में भूमि बंदोबस्त हुआ. उस समय किसी ने एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर की जमीन को अपने नाम कर दिया.मंदिर की कुछ जमीन का तो अभी तक सीमांकन भी नहीं हो पाया है. राजधानी देहरादून के डोभालवाला की जमीन के सीमांकन के लिए कई बार मंदिर समिति द्वारा यहां के डीएम को पत्र लिखा गया है. लेकिन मंदिर समिति को कोई सहयोग नहीं मिला. मंदिर समिति के पास रामनगर में 26 नाली जमीन में मंदिर है. इन सभी मामलों में सरकार के सहयोग के लिए मंदिर समिति ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. इस पत्र में लिखा गया है कि इन सभी जमीनों का प्रबंधन हमारे हाथ में दिया जाए.