'Bulli Bai App': तीन भाई-बहनों में एक शालू अपना गुजारा करने के लिए सरकार से कोविड संकट के दौरान अनाथ हुए बच्चों को मिलने वाली सहायता पर निर्भर है. उसके पास बड़े-बुजुर्गों का मार्गदर्शन नहीं है. क्या यह वजह हो सकती है जिसने उसे एक ऐसा काम करने की तरफ धकेल दिया जिससे वह अब कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है. पढ़िए पूरी खबर...
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प्रीति चौहान/देहरादून: 'बुल्ली बाई ऐप' आजकल सुर्खियों में है. वजह है इस एप पर लड़कियों के अश्लील फोटो डाले जा रहे थे. एक विशेष समुदाय की औरतों को टारगेट किया जा रहा था. इसी मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुद्रपुर (Rudrapur) की रहने वाली एक लड़की को गिरफ्तार किया. मामला संवेदनशील होने के कारण हम उसका नाम यहां पर नहीं दे रहे हैं. यहां पर हम उसको एक नाम दे रहे हैं शालू...18 साल की किशोर उम्र वाली शालू एक अनाथ लड़की है जिसके पिता का देहांत कोविड संक्रमण की वजह से हो गया था. तीन भाई-बहनों में एक शालू अपना गुजारा करने के लिए सरकार से कोविड संकट के दौरान अनाथ हुए बच्चों को मिलने वाली सहायता पर निर्भर है. उसके पास बड़े-बुजुर्गों का मार्गदर्शन नहीं है. क्या यह वजह हो सकती है जिसने उसे एक ऐसा काम करने की तरफ धकेल दिया जिससे वह अब कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है.
तो इस विषय पर हमने एक्सपर्ट्स से भी बात कर उनसे उनकी राय जानी. आइए डिटेल में जानते हैं कि शालू का फैमिली बैकग्राउंड क्या है और कैसे हालात पैदा हुए कि वो इसमें फंस गई या फिर फंसाई गई. पुलिस, प्रशासन, और मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से हम इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट दे रहे हैं.
क्या हो सकता है इसके पीछे?
एक पढ़ी लिखी लड़की इस जाल में कैसे फंसी या फिर उसके मस्तिष्क में ये सब कैसे उपजा इस संदर्भ में मनोवैज्ञानिक अलग-अलग तरह से बात कर रहे हैं. बात अगर लड़की के बैकग्राउंड की करें तो उसके साथ सहानुभूति पैदा होती है. कुछ उस पर हिंदूवादी होने का ठप्पा भी लगा रहे हैं. तो सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि इस पर किसी तरह का दबाव था. मां-बाप इस दुनिया में नहीं हैं, तीन भाई-बहनों की फैमिली में कोई कमाने वाला नहीं है. सरकार की तरफ से हर महीने मिलने वाले कुछ रुपयों से ये गुजारा करते थे. परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था. इस तरह के विचार अलग-अलग सुनने और पढ़ने को मिल रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि लड़की ‘हिंदुत्व के विचार’ के साथ जुड़ी हुई थी. ऐसा कहा जा रहा है कि वह इस तरह के कंटेंट सोशल मीडिया पर अक्सर डाला करती थी.
ऐसा भी हो सकता है?
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि आरोपी लड़की ने अपने परिवार की जरुरतों को पूरा करने के लिए और अपनी माली हालत से निकलने के लिए शायद ये रास्ता अपनाया हो और बुली बाई ऐप के जरिए से कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की चाह रखी हो और वह इसमें फंसती चली गई हो. हो सकता है कि उसके अंदर किसी विशेष समुदाय के खिलाफ द्वेष की भावना हो, जिसके चलते उसने ये काम किए. कारण जाहें जो भी हों पर इस उम्र इस तरह के कार्यों को कर शालू ने अपने जीवन को और कठिन बना दिया है.
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इंजीनियरिंग एंट्रेस की तैयारी कर रही थी शालू
शालू के बोर्ड एग्जाम के बाद इंजिनियरिंग एंट्रेस की तैयारी कर रही थी. शालू की बड़ी बहन बी कॉम की स्टूडेंट हैं. शालू की इच्छा इंजीनियर बनने की थी और तैयारी भी कर रही थी. जानकारी के अनुसार भाई-बहन श्वेता को मोबाइल पर ज्यादा समय देखने को लेकर अक्सर टोका करते थे. ऐसा माना जा रहा है कि सोशल मीडिया (Social Media) पर ज्यादा समय गुजारने के कारण उसमें कोई हेट भावना पैदा हो गई हो.
मां-बाप को हो चुकी है मौत
शालू के पिता की मौत कोविड 19 की वजह से पिछले साल मई में हो गई थी. उसने बचपन में ही अपनी मां को भी खो दिया. शालू के पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. भले ही उनकी तनख्वाह कम थी इसके बाद भी उनका परिवार खुशहाल जिंदगी बसर कर रहा था.उसकी मां का निधन साल 2011 में कैंसर की वजह से हो गया था. ये तीन भाई बहन है. उत्तराखंड सरकार की तरफ से वात्सल्य योजना के तहत मिलने वाले 3 हजार रुपये और पिता जिस कंपनी में काम करते थे, वहां से मिलने वाली पैसे से खर्चा चलता है.
मनोवैज्ञानिक का इस बारे में ये है कहना-
इस बारे में मनोवैज्ञानिक डॉक्टर समीर पारिख का कहना है कि हमको सोशल वैल्यूज का ध्यान रखना चाहिए. उनका कहना है कि हमें सामाजिक तौर पर खासकर युवाओं और स्कूल के बच्चों के लिए जरूरी है कि कैसे हम नैतिक एजूकेशन की तरफ जाएं. डॉ पारिख ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर कई तरह की बुलिंग बढ़ती जा रही है. अगर इस तरह की घटनाओं से बचना है तो लोगों को बच्चों के साथ सोशल वैल्यू का ध्यान रखना चाहिए. हम अपनी पीढ़ी को एजुकेशन से इतर होकर इस तरह की एजुकेशन दें कि उनको समझ आए कि हम क्या कर रहे हैं और क्या नहीं. हमारे विहेवियर का लोगों पर क्या असर पड़ता है इस पर ध्यान रखना जरूरी है. डॉक्टर पारिख का कहना है कि जो हम सीखते हैं समझते हैं उसका असर व्यवहार पर पड़ता है और हम उसी के अनुसार रिएक्ट करते हैं.
तीन अकाउंट को हैंडल करती है आरोपी लड़की
पुलिस ने जब शालू (काल्पनिक नाम) को अरेस्ट किया और उससे पूछताछ की तो पता चला कि वह ऐप से जुड़े तीन अकाउंट को हैंडल कर रही थी. इसी के आधार पर ग्रुप एडमिन के अलावा गिरफ्तार लड़की को मुख्य आरोपी माना जा रहा है. खबरों की मानें तो इस ऐप से नेपाल, दिल्ली, महाराष्ट्र, बेंगलुरु के अलावा कई प्रदेशों के शिक्षित युवा जुड़े हुए हैं. इस संबंध में तीन गिरफ्तारी हो चुकी हैं
ऐप में मुस्लिम महिलाओं की बोली
रुद्रपुर में आदर्श कॉलोनी की रहने वाली आरोपी 18 साल की शालू गिरफ्तार की गई है. शालू पर बुली बाई ऐप के जरिए मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की तस्वीरें लगाकर उनकी कथित तौर पर बोली लगाने के आरोप लगाए जा रहे हैं. आरोप है कि वह मुस्लिम महिलाओं के फोटोज को एडिट कर सोशल मीडिया (Social Media) की साइट्स पर डालती थी.
जानें क्या है बुल्ली ऐप?
सुल्ली डील्स ऐप की तरह Bulli Bai App' को भी गिटहब पर ही बनाया गया, हालांकि अब इसे ब्लॉक कर दिया गया है. बता दें कि ये केस एक जनवरी को सामने आया था. इस एप में आरोपियों ने कई मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को एडिट कर बुल्ली बाई ऐप पर नीलामी के लिए डाला .खास बात ये है कि इसमें उन महिलाओं को निशाना बनाया गया जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं.
दिल्ली पुलिस ने भी मांगी डिटेल
पत्रकार ने जब इस प्लैटफॉर्म पर अपनी तस्वीर के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने दिल्ली साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इस मामले में शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी की शिकायत पर पश्चिम प्रादेशिक क्षेत्र साइबर पुलिस ने गिटहब पर होस्ट किए गए 'बुल्ली बाई' ऐप डिवेलपर के खिलाफ रविवार को मामला दर्ज किया गया. दिल्ली पुलिस ने भी यह मोबाइल ऐप डिवेलप करने वाले की जानकारी मांगी. साथ ही, ट्विटर को इससे जुड़ा आपत्तिजनक कंटेंट हटाने को कहा. इससे पहले, दिल्ली महिला आयोग चीफ स्वाति मालीवाल ने डिप्टी पुलिस कमिश्नर, साइबर क्राइम सेल को 6 जनवरी को तलब कर दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की..आयोग ने दिल्ली पुलिस से 'सुल्ली डील' और 'बुली बाई' दोनों मामलों में गिरफ्तार लोगों की लिस्ट और कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है. अब जानते हैं कि ये एप क्या है.
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