कौन हैं Water Hero चंदन नयाल, जिनकी मेहनत से हरे-भरे हुए जंगल, PM Modi ने भी की सराहना
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कौन हैं Water Hero चंदन नयाल, जिनकी मेहनत से हरे-भरे हुए जंगल, PM Modi ने भी की सराहना

Water Hero Chandan Nayal: बीते 16 साल से पर्यावरण प्रेमी Chandan Nayal पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. नैनीताल के सुदूरवर्ती इलाके ओखलकांडा ने 12 हेक्टेयर जंगल में 3000 से ज्यादा तालाब बनाए हैं...

कौन हैं Water Hero चंदन नयाल, जिनकी मेहनत से हरे-भरे हुए जंगल, PM Modi ने भी की सराहना

Water Hero Chandan Nayal: Water Hero के नाम से जाने जाने वाले चंदन नयाल वह शख्स हैं, जिन्हे सन् 2020 में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने उपाधि से नवाज़ा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2020 को 'मन की बात' के ट्विटर हैंडल पर पर्यावरण प्रेमी चंदन नयाल का जिक्र भी किया गया है. चंदन ने पॉलिटेक्निक की पढ़ाई की है. इसके बाद भी वह नौकरी करने के बजाय जल, जंगल, ज़मीन के संरक्षण के प्रति अपनी मुहिम चला रहे हैं. इसका असर यह है कि आज-कल जंगल हरे भरे नजर आ रहे हैं और चाल खाल पानी से भरे हुए हैं. 

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बिना किसी आर्थिक मदद के बनाए गए स्त्रोत
पर्यावरण प्रेमी चंदन नयाल पिछले 16 सालों से पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. नैनीताल जिले के सुदूरवर्ती इलाके ओखलकांडा के करीब 12 हेक्टेयर जंगल में 3 हजार से ज्यादा छोटे-छोटे तालाब (चाल खाल) उन्होंने बनाए हैं. ये तालाब एक दूसरे से करीब 50 से 100 मीटर की दूरी पर बनाए गए हैं. ओखलकांडा में कई ऐसे पानी के स्रोत हैं, जो सूख चुके हैं. पानी के इन स्रोतों को बचाने के लिये चंदन नयाल ने बिना किसी आर्थिक मदद के चाल खाल बनाने का काम किया और इसमें स्थानीय लोगों ने भी पूरा सहयोग दिया. 

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जंगलों को आग से बचाने की बड़ी प्लानिंग
चंदन बताते हैं कि अब बरसात में चाल खाल बारिश के पानी से लबालब भर जाएंगे, जो प्राकृतिक जल स्रोतों को रिचार्ज करने का काम तो करेंगे ही, साथ में जंगल भी हरा भरा रहेगा. चंदन नयाल ने करीब तीन हेक्टेयर जंगल में बांज (quercus leucotricophora) का प्लांटेशन किया है. इससे जंगल में नमी पैदा होने की वजह से पानी का संकट दूर होता है और इसके आस पास हर प्रजाति की वनस्पतियों को पनपने का मौका मिलता है. जबकि चीड़ के पेड़ जंगल में आग लगने की सबसे बड़ी वजह हैं. जंगल में बड़ी संख्या में चाल-खाल और पोखर बनाने की एक वजह यह भी है कि जंगलों में नमी रहने के साथ वनाग्नि के सीजन में भी जल संचयों के संसाधनों से बड़ी राहत मिले और जंगल आग से बच सकें.

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