Uttarakhand Chunav 2022: हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) इस बार बीजेपी पर दबाव बना रहे थे कि कोटद्वार विधानसभा सीट (Kotdwar Assembly Seat) को बदल दिया जाए. इसके पीछे की वजह यह थी कि कोटद्वार से कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह (Surendra Singh Negi) रहे हैं. सुरेंद्र सिंह नेगी की इस इलाके में जबरदस्त पकड़ है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में नेगी ने बीजेपी सीएम उम्मीदवार भुवन चंद्र खंडूरी (Bhuwan Chandra Khanduri) को मात दी थी.
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Uttarakhand Chunav 2022: उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी चुनाव से पहले बड़ी पार्टियों में घमासान चालू है. उत्तराखंड बीजेपी (Uttarakhand BJP) से निष्कासित कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) पर आज फैसला हो जाएगा. माना जा रहा है कि आज हरक सिंह रावत कांग्रेस (Uttarakhand Congress) में शामिल हो सकते हैं. वहीं, कांग्रेस में हरक को लेकर जबरदस्त विरोध देखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि हरीश रावत (Harish Rawat) सहित गुट के कई नेता हरक रावत के विरोध में हैं.
बिना किसी शर्त के कांग्रेस में होंगे शामिल
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस में शामिल होने के लिए हरक सिंह रावत ने कोई शर्त नहीं रखी है. इतना ही नहीं, हरक को कहीं से चुनाव न लड़ने की शर्त पर ही कांग्रेस में एंट्री मिलेगी. इसके अलावा, उनकी बहू को भी आज कांग्रेस में लैंसडाउन से टिकट दे सकती है. बता दें, हरक सिंह रावत उत्तराखंड बीजेपी के बड़े नेता माने जाते हैं. वह कोटद्वार विधानसभा से विधायक हैं. लेकिन, अब बीजेपी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है.
2017 में कांग्रेस के सुरेंद्र नेगी को हराया था
दरअसल, हरक सिंह रावत इस बार बीजेपी पर दबाव बना रहे थे कि कोटद्वार विधानसभा सीट को बदल दिया जाए. इसके पीछे की वजह यह थी कि कोटद्वार से कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह रहे हैं. सुरेंद्र सिंह नेगी की इस इलाके में जबरदस्त पकड़ है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में नेगी ने बीजेपी सीएम उम्मीदवार भुवन चंद खंडूरी को मात दी थी.
इसलिए सीट बदलना चाहते हैं हरक
बीजेपी ने साल 2012 में 'खंडूरी है जरूरी' का नारा देते हुए भुवन चंद खंडूरी के नाम पर इलेक्शन लड़ा था. सुरेंद्र नेगी ने जब खंडूरी को हराया तो उन्हें कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री भी पद दिया गया. लेकिन, साल 2017 में सुरेंद्र नेगी को हराने वाल हरक सिंह रावत बने. हालांकि, अब माना जा रहा है कि समीकरण बदल चुके हैं और हरक सिंह रावत को कोटद्वार में हारने का डर लग रहा है. इसलिए माना जा रहा है कि हरक रावत यह सीट बदलना चाहते हैं.
केदारनाथ से टिकट मांग रहे थे हरक रावत
विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, हरक रावत केदारनाथ से टिकट की मांग कर रहे थे. लेकिन, बीजेपी में इसका विरोध किया जा रहा था. इतना ही नहीं, हरक सिंह रावत की करीबी मानी जाने वालीं शैला रानी रावत (जो हरक सिंह के साथ ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आई थीं) केदारनाथ की पूर्व विधायक आशा नौटियाल खुद हरक सिंह रावत को बाहरी बता रही हैं और केदारनाथ से टिकट दिए जाने का विरोध कर रही हैं.
दिलीप रावत पर भी हरक बना रहे थे दबाव
हालांकि, बताया यह भी जा रहा है कि बीजेपी फिर भी हरक रावत को केदारनाथ से उतारने का प्लान कर रही थी. लेकिन, जब हरक रावत ने अपनी बहू के लिए लैंसडाउन सीट से टिकट की मांग रखी तो लैंसडाउन से बीजेपी विधायक दिलीप रावत ने इसका विरोध किया. बता दें, दिलीप रावत ने खुद सीएम धामी को वन विभाग में हो रहे घोटाले के बारे में चिट्ठी लिखकर अवगत कराया था और हरक सिंह रावत वन मंत्री ही हैं.
यहां से लगने लगे हरक के कांग्रेस जाने के कयास
वहीं, हरक रावत दिलीप रावत से अपील कर रहे थे कि वह कोटद्वार से चुनाव लड़ लें, लेकिन इसके लिए दिलीप तैयार नहीं हुए. ऐसे में हरक रावत कई तरीकों से पार्टी पर दबाव बनाने लगे. इसके बाद जब सोनिया आनंद अमरावत कांग्रेस में शामिल हो गईं, तो कयास लगाए जाने लगे कि हरक रावत भी कुछ ऐसा ही करने वाले हैं. क्योंकि सोनिया हरक सिंह की करीबी हैं.
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