झांसी में बच्चों की मौतों के मुजरिम! तीन साल से खाली थे आग बुझाने वाले सिलेंडर, नहीं बजा फायर सेफ्टी अलार्म
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झांसी में बच्चों की मौतों के मुजरिम! तीन साल से खाली थे आग बुझाने वाले सिलेंडर, नहीं बजा फायर सेफ्टी अलार्म

Jhansi Medical College Fire: परिजनों की आखों में सिर्फ और सिर्फ आंसू और अपने बच्चे को खोने का गम है. पिता और माता पर इस वक्त क्या गुजरा होगा, कितना कष्ट हुआ होगा… इसका अंदाजा कौन लगा सकता है. मेडिकल कालेज में हुई इस घटना का जिम्मेदार कौन है?

 Jhansi Medical College Fire

Jhansi Medical College Fire: शुक्रवार रात को लोग जब सोने की तैयारी में तब, उस दौरान झांसी का मेडिकल कॉलेज नवजातों की चीखों से गूंज रहा था. ये नन्हीं से जान बोलकर भी अपना दर्द बयां नहीं कर सकते थे और न ही मदद  के लिए बुला सकते थे. तड़प-तड़प कर 10 बच्चों ने अपनी जान दे दी.  उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड वार्ड (NICU- Neonatal Intensive Care Unit) में अचानक भीषण आग लगने से 10 बच्चे काल के गाल में समा गए. सवाल यह उठता है कि आखिर इन 10 मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन है? बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी होगी. जांच के बाद भी हादसे के असली कारण का पता चल सकेगा.

शुरुआती जांच में कई खामियां मिली हैं. जांच में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. जांच में अग्निशामक यंत्र खराब मिले हैं.  2020 और 2023 से खाली पड़े थे. एडीएम अरुण कुमार और एसपी सिटी हादसे की जांच कर रहे हैं. प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि आग बुझाने वाले सिलेंडर रिफिल नहीं थे कुछ 2020 तो कुछ 2023 से खाली पड़े हैं. घटना के बाद वार्ड में अफरा तफरी का माहौल बन गया. सिलेंडर से आग बुझाने का प्रयास किया गया तो वह काम नहीं कर रहे थे. आग लगते ही पारिवार जनों ने अपने बच्चों की खोज शुरू की लेकिन जब फायर एक्सटिंग्विशर से आग बुझाने का प्रयास किया गया तो उसमें रिफिल ही नहीं था.

नहीं बजा सेफ्टी अलार्म
ताज्जुब की बात थी कि वॉर्ड में लगा सेफ्टी अलार्म तक नहीं बजा. जिसके चलते सुरक्षा कर्मियों और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को हादसे की जानकारी समय से नहीं लग सकी.  जब आग की लपटें और धुंआ देखकर गर्भवती महिलाओं के परिजन बच्चों को गोद में लेकर भागने लगे, तब अफरा-तफरी फैली और आनन-फानन में फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई.

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झांसी मेडिकल कॉलेज हादसे में त्रिस्तरीय जांच का आदेश दिया है. स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और मजिस्ट्रेट अलग-अलग जांच करेंगे. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने जांच के निर्देश दिए हैं.  दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी. शुक्रवार रात 10:30 बजे मेडिकल कॉलेज के SNCU स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट में आग लगी थी.हादसे में 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हुई और 39 को रेस्क्यू किया गया. बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के बाद ब्लास्ट होने से आग भड़की.

सुबह 5 बजे डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक भी झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचे.हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी. सरकार मृतक बच्चों के परिवार के साथ खड़ी है.  हर संभव मदद की जाएगी.

लापरवाही का जिम्मेदार कौन?

झांसी जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि रात करीब साढ़े 10 बजे मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों ने आग लगने की सूचना दी है.  उन्होंने कहा कि नीकू वार्ड में दो यूनिट होते हैं, जिसमें अंदर की तरफ क्रिटिकल बच्चों तथा बाहर की तरफ कम क्रिटिकल बच्चों को रखा जाता है. उन्होंने कहा कि अंदर वाले यूनिट में संभवत: शॉर्ट सर्किट से आग लगी है. लेकिन सवाल यह उठता है कि इतने बड़े अस्पताल में ऐसी लापरवाही का जिम्मेदार कौन है.

सीएम योगी ने लिया हादसे का संज्ञान
यूपी के झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे पर मुख्यमंत्री योगी ने मृतक बच्चों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों को घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उनके समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना की है. बताया जा रहा है कि वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे. 37 बच्चों का रेस्क्यू किया गया है. फिलहाल आग पर काबू पा लिया गया है. कमिश्नर -डीआईजी हादसे की जांच करेंगे.

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