यूपी में पहली बार ट्री ट्रांसलोकेशन, पेड़ों को जड़ों समेत किया जा रहा सेंट्रल जेल में शिफ्ट
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यूपी में पहली बार ट्री ट्रांसलोकेशन, पेड़ों को जड़ों समेत किया जा रहा सेंट्रल जेल में शिफ्ट

ट्री स्पेड ट्रांसलोकेटर के माध्यम से पेड़ों को जड़ से निकाल कर सेंट्रल जेल में लगाया जा रहा है. ये उपकरण कोन के आकार के होते हैं जो करीब 4 फिट नीचे से पेड़ों को सुरक्षित निकाल लेता है. इसके बाद पेड़ों का एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगस ट्रीटमेंट किया जाता है.

यूपी में पहली बार ट्री ट्रांसलोकेशन, पेड़ों को जड़ों समेत किया जा रहा सेंट्रल जेल में शिफ्ट

विशांत श्रीवास्तव/वाराणसी: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफ़ी सजग है. सरकार ने निर्णय लिया है कि विकास के कामों में बांधा आने वाले बड़े पेड़ों को वे काटेगी नहीं बल्कि उसे जड़ समेत दूसरी जगह पुनः स्थापित करेगी. उत्तर प्रदेश में ऐसा काम पहली बार वाराणसी में देखने को मिल रहा है. विकास के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. 

  1. विकास की इमारत बनने की जगह आ रहे दशकों पुराने पेड़ों को बचाया जा रहा
  2. प्रदेश में पहली बार हो रहा ट्री ट्रांसलोकेशन
  3. ट्री स्पेड ट्रांसलोकेटर उपकरण से पेड़ों को किया जा रहा सेंट्रल जेल में शिफ्ट
  4.  

25 से 30 वर्ष पुराने पेड़ों को जड़ समेत किया जा रहा है सेंट्रल जेल परिसर में शिफ्ट
कमिश्नरी परिसर में बनने वाले 18 मंजिले एकीकृत मंडलीय बिल्डिंग के प्रस्तावित जगहों पर लगे करीब दो से तीन दशक पुराने पेड़ों को सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया जा रहा है. वाराणसी के कमिश्नरी परिसर में मंडलीय स्तर के कार्यालय के लिए 18 मंजिला इमारत प्रस्तावित है. निर्माण के बीच में आ रहे करीब 25 से 30 वर्ष पुराने पेड़ों को जड़ समेत निकाल कर सेंट्रल जेल परिसर में लगाया जा रहा है.

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सरकार की प्राथमिकता हरियाली को बचाए रखना
डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफ़िसर महावीर कौजालगी ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता हरियाली को बचाए रखना है. इसलिए ट्री स्पेड ट्रांसलोकेटर के माध्यम से पेड़ों को जड़ से निकाल कर सेंट्रल जेल में लगाया जा रहा है. ये उपकरण कोन के आकार के होते हैं जो करीब 4 फिट नीचे से पेड़ों को सुरक्षित निकाल लेता है. इसके बाद पेड़ों का एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगस ट्रीटमेंट किया जाता है. साथ ही जिस जगह पर पेड़ को लगाना होता है वहं पहले से गड्ढे तैयार रखे जाते हैं. यहां की मिट्टी का भी ट्रीटमेंट पहले से कर लिया जाता है.

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पुनः स्थापित किए जा चुके हैं करीब 15 पेड़

उन्होंने बताया कि करीब 25 से 30 वर्षों का समय इस तकनीक से बचा है. 73 पेड़ों को शिफ्ट किया जाना है. करीब 15 पेड़ों को पुनः स्थापित किया जा चुका है. मुख्यतः आम अमलतास ,अशोक ,गुलमोहर गूलर नीम आदि पौधों को शिफ्ट किया जा रहा है. करीब एक दर्जन पेड़ ऐसे हैं जिनकी आयु कम बची है और जो पेड़ आधे से ज़्यादा सूख गए हैं ,उनको शिफ्ट नहीं किया जाएगा. आगे भी वाराणसी के हरियाली और पर्यावरण संरक्षण के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.

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