Katha Corner: "मैं नहीं चाहता कि मेरी मृत्यु के बाद किसी भी तरह का धार्मिक अनुष्ठान किया जाए. मैं ऐसे किसी भी अनुष्ठान में विश्वास नहीं करता. इसलिए मेरी मृत्यु के बाद ऐसा करना वास्तव में पाखंड होगा. ऐसा करना स्वयं को और अन्य लोगों को धोखा देने के समान होगा. जब मेरी मौत हो जाए तो मेरी अस्थियों की राख के एक मुट्ठी हिस्से को प्रयाग के संगम में बहा देना, बची हुई अस्थियों की राख को हवाई जहाज से खेतों में उड़ा देना." कुछ ऐसी ही थी पंडित जवाहर लाल नेहरु की अंतिम इच्छा जो उन्होंने खुद अपनी वसीयत में लिखी थी. 11 जून यानी कि आज के ही दिन उनकी अस्थियों की राख को हवाई जहाज से देश भर में उड़ा दिया गया था. इतना ही नहीं बल्कि पं. नेहरु की वसीयत में ऐसी कई बातें लिखी थी जिसे पढ़कर हर कोई हैरान हो गया. कथा कॉर्नर के आज के इस अंक में देखिए पं. नेहरु की वसीयत की वो अनोखी इच्छाएं..