उत्तर प्रदेश की नूरपुर सीट पर बीजेपी को बड़ा झटका देते हुए समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल कर ली है.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की नूरपुर सीट पर बीजेपी को बड़ा झटका देते हुए समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल कर ली है. इस जीत की खुशी मनाते हुए सपा समर्थकों ने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय पर ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया. इस दौरान एक शख्स डांस करता भी दिखा. जश्न मनाता ये शख्स जिस तरह से डांस कर रहा था, उससे ऐसा लग रहा था जैसे वो डांस करते हुए खुजली कर रहा है. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है.
उत्तर प्रदेश की नूरपुर सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नईम उल हसन ने भाजपा की प्रत्याशी अवनी सिंह को 6212 वोट से हरा दिया है. शुरुआती चरणों में भाजपा उम्मीदवार ने बढ़त बनाई थी, लेकिन बाद में सपा उम्मीदवार ने उन्हें पीछे छोड़ दिया. ये सीट लोकेंद्र चौहान के निधन के बाद खाली हुई थी. लोकेंद्र चौहान की मौत फरवरी में कार हादसे में हो गई थी.
WATCH: Celebrations outside Samajwadi Party office in Lucknow after the party won Noorpur Assembly seat pic.twitter.com/QXYQreVWWz
— ANI UP (@ANINewsUP) May 31, 2018
चुनाव जीतने वाले नईम उल हसन के बारे में जानें
उत्तर प्रदेश के बिजनौर की नूरपुर विधानसभा सीट पर गुरुवार (31 मई) को हुए उपचुनाव में सपा के उम्मीदवार नईम उल हसन ने भारी जीत हासिल की है. नईम उल हसन ने इस उपचुनाव में 6,211 वोटों से जीत हासिल की है. उनकी इस जीत से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. नूरपुर विधानसभा सीट पर सपा के नईम उल हसन और बीजेपी की अवनी सिंह के बीच कड़ा मुकाबला था. बता दें कि बिजनौर की नूरपुर विधानसभा सीट पूर्व विधायक लोकेंद्र सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी. नईम उल हसन को सपा की ओर से पहले भी विधानसभा और लोकसभा की टिकट मिल चुकी है. नईम उल हसन के बारे में यहां जानिये अहम बातें.
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1. नईम उल हसन सपा के कद्दावर नेता माने जाते हैं. वह देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे चुके हैं.
2. 2017 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें नूरपुर विधानसभा सीट से ही प्रत्याशी बनाया था. लेकिन उन्हें बीजेपी के लोकेंद्र सिंह से बड़ी हार का सामना करना पड़ा. उन्हें करीब 12 हजार वोटों से हारना पड़ा था.
3. नईम उल हसन को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी करीबी माना जाता है.
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4. 2017 से पहले उन्हें 2012 के विधानसभा चुनावों में भी सपा ने टिकट दिया था. वह उस बार भी हार गए थे.
5. 2012 में सपा के टिकट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें दर्जा प्राप्त मंत्री बनाया था.
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6. सपा की ओर से इस बार उपचुनाव में नईम उल हसन को उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ इलाके के मुस्लिम मतदाताओं ने विरोध किया था. उन्होंने हसन के खिलाफ नारेबाजी भी की थी.
7. मुस्लिम मतदाताओं ने यहां तक चेतावनी दी थी कि अगर सपा ने अपना उम्मीदवार नहीं बदला तो वे अपना वोट बीजेपी को देंगे. हालांकि इसके बाद भी हसन ने उपचुनाव में जीत हासिल की है.