पवन त्रिपाठी /नई दिल्ली:  दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में नए साल का आगाज कड़ाके की ठंड के साथ हुआ. उत्तर भारत में शीत लहर का कहर जारी है. दिल्ली और आसपास के इलाकों में भीषण ठंड के साथ घना कोहरा छाया रहा. कोहरे के कारण दृश्यता (Visibility) भी बेहद कम है.  मौसम विभाग के मुताबिक आज दिल्ली के सफदरजंग में 1.1 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया.


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दिल्ली-एनसीआर में कोहरे की मोटी चादर
सुबह से ही दिल्‍ली-एनसीआर के इलाकों में कोहरे की मोटी चादर बिछी रही. आलम ये था कि सुबह कोहरे के कारण कुछ दूर देख पाना भी मुश्किल हो रहा था. वाहन चालकों को अतिरिक्‍त सावधानी के साथ गाड़ी चलानी पड़ रही थी. सड़कों पर वाहन रेंगने को मजबूर हो गए. इस दौरान सड़कों पर लोग फॉग लाइट जलाकर अपना सफर करते नजर आए. 


घने कोहरे ने बढ़ा दी मुसीबत
उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में आज घना कोहरा छाया रहा और कई इलाकों में तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया. दिल्ली और नोएडा में घने कोहरे ने मुसीबत बढ़ा दी. कई जगह पर तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे भी चला गया. 


पहाड़ी इलाकों में हिमपात का असर
पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही हिमपात और सर्द हवाओं का असर अब मैदानी इलाकों में भी देखा जाने लगा है. हिमाचल, उत्‍तराखंड, हरियाणा, दिल्‍ली, उत्‍तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रदेश भी भीषण ठंड की चपेट में हैं.


दिसंबर महीना सबसे ठंडा रहा
साल 2020 का दिसंबर महीना सबसे ठंडा रहा. इस बार दिसंबर में आठ दिन शीतलहर चली. साल 2018 में भी दिसंबर में आठ दिन शीतलहर चली थी, जबकि 1965 में नौ दिन शीतलहर थी.


यूपी में गलन और ठिठुरन


यूपी में गलन और ठिठुरन कम होने का नाम नहीं ले रही. ठिठुरन और गलन बरकरार है दिन में धूप निकलने से कुछ घंटों के लिए ठंड से निजात मिल जाती है लेकिन शाम होते ही लोग कपकपाती ठंड का शिकार होने लगते हैं. ठंड की वजह से लोग अलाव का सहारा लेने को मजबूर हैं.


कैसे बनता है कोहरा


धरती के ऊपर धुएं जैसा आवरण छा जाता है इसे कोहरा [फॉग] कहते हैं. इसकी वजह से न केवल राहगीरों को बल्कि ट्रेन ड्राइवरों और Airplans के पायलटों तक को रास्ता ठीक से नहीं दिखाई देता. कभी-कभी तो कोहरा इतना घना होता है कि हमें ड्राइंग रूम से मकान का मेन गेट तक नहीं दिखाई देता. 


हमारे चारों ओर उपस्थित हवा में जलवाष्प [वॉटर वेपर] होती है, जिसे हम नमी कहते हैं. सर्दियों  में पृथ्वी की सतह के पास की गर्म हवा में मौजूद जलवाष्प ऊपर मौजूद ठण्डी हवा की परतों से मिल कर जम जाती है. इस प्रक्रिया को सघनन [कंडेन्शन] कहा जाता है. जब हवा में बहुत ज्यादा कंडेन्शन हो जाता है तो ये भारी होकर पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों में बदलने लगती है. आसपास की अधिक ठडी हवा के सपर्क में आने पर इसका स्वरूप धुएं के बादल जैसा बन जाता है. इसी को मौसम वैज्ञानिक कोहरा बनना कहते है. औद्योगिक क्षेत्रों में कोहरा ज्यादा घना हो जाता है और इसे 'स्मॉग' कहते हैं. स्मॉग स्मोक और फॉग से मिलकर बना शब्द है. 


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