अस्पताल में आ रहे हर मरीज के दिमाग में एक ही बात घूमती है कि आखिर यह महामारी कब खत्म होगी और जीवन पटरी पर कैसे और कब आएगा?
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लखनऊ: जीवन में बढ़ते कंपटीशन ने फाइटिंग स्किल भले ही बढ़ाई हो, लेकिन साथ ही बढ़ाया है तनाव भी. चाहे वह नौकरी में हो या स्कूल/कॉलेज में, एग्जाम में हो या दोस्तों में, तनाव हमारे जीवन का मुख्य हिस्सा बन गया है. कहा जाता है जीवन में पैसा हो या नहीं, लेकिन मेंटल पीस होना बहुत जरूरी है. मगर कोरोना काल में बीमारी के साथ-साथ तनाव का भी संक्रमण बढ़ गया. लोगों को अलग-अलग परेशानियां सताने लगीं. ख़ुदा न ख़्वास्ता कहीं वे या उनके परिवार वाले कोरोना का शिकार हो गए तो? कहीं महामारी की वजह से नौकरी चली गई तो? या इतना अकेला महसूस करने लगे कि घर काटने को दौड़े. यह सारी बातें असर डालती हैं आपकी मेंटल पीस पर. और इसके साथ ही व्यक्ति घबराहट, दुख, भूख न लगने या नींद न आने का शिकार हो जाता है और तनाव का मरीज बन जाता है.
नौकरी जाने का खौफ
कोरोना में यह बात सबको परेशान कर रही है कि कहीं उनकी कंपनी उन्हे नौकरी से न निकाल दे. इस वजह से लोग अपनी क्षमता से ज्यादा काम या मेहनत करने लगे. तनाव के साथ थकान ने लोगों को और तकलीफ दी.
बिजनेज की टेंशन
मध्यम वर्ग के सामने पहले से ही कई मुश्किले होती हैं. घर का किराया, बैंक से लिया लोन, बच्चों की फीस, परिवार का पालन, आदि. एब इस बीच बिजनेस ठप होने से लोगों का मेंटल स्ट्रेस और बढ़ा.
एक ही सवाल- आखिर यह कोरोना जाएगा कब?
अस्पताल में आ रहे हर मरीज के दिमाग में एक ही बात घूमती है कि आखिर यह महामारी कब खत्म होगी और जीवन पटरी पर कैसे और कब आएगा?
डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना महामारी में मानसिक परेशानी के नए मरीज बढ़े हैं. फोन पर हर डॉक्टर से करीब 15-20 मरीज रोज सलाह ले रहा हैं. इससे अंदाजा लगया जा सकता है कि तनावग्रस्त लोगों में कितना इजाफा हुआ है. ओपीडी में रोजाना 150 से 180 मरीज आ रहे हैं. इसमें से हर दूसरे मरीज को तनाव, चिंता, अवसाद की परेशानी है.
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करें सकारात्मक बातें
सामान्य दिनों के मुकाबले कोरोना महामारी में हताशा, चिंता, तनाव और अवसाद के मामले बढ़े हैं. इसलिए परिजन-मित्रों को प्रेरित करना चाहिए कि बीमारी जीवन का अंत नहीं है. एक बार फिर चीजे सुधरेंगी और जिंदगी नॉर्मल होगी.
अपनाएं यह उपाय
1. भूख न लगना, हताशा, चिंतित होने पर उसको अकेला न छोड़े, उसके साथ समय बिताएं
2. मानसिक रोगी हैं तो उनकी निगरानी, चिकित्सकों से परामर्श और काउंसिलिंग कराते रहें
3. बीमारी, आर्थिक परेशानी के कारण घर का सदस्य चिंतित है तो उससे सकारात्मक बातें करें
4. चिंता और तनाव से बचने के लिए योग, संगीत, पेंटिंग, बागवानी, लेखन में समय बिताएं
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