मुंबई के एक टुकड़े पर 672 घर हुआ करते थे जिसमें रहने वाले लोगों को ये सपना दिखाया गया कि उन्हें उनकी जगह पर फ्लैट्स बनाकर दिए जाएंगे. और जिस कंपनी को इस काम का कांट्रैक्ट मिला उसने फ्लैट्स तो नहीं बनाए लेकिन बाकी जमीन बिल्डर्स को बेच दी.और इस कंपनी के द्वारा संजय राउत और उनकी पत्नि के बैंक खातों में लाखों रूपये जमा किए गए.