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नई दिल्ली: देश में ओमिक्रॉन (Omicron) वेरिएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यह वेरिएंट अब तक 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल चुका है. ओमिक्रॉन को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये नया वेरिएंट भले ही ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन यह बहुत तेजी से फैलता है.
कोरोना की दूसरी लहर यानी डेल्टा वेरिएंट ने जब देश में कहर बरपाया था, तब काफी लोगों को जान चली गई थी. विशेषज्ञों का दावा था कि डेल्टा वेरिएंट लोगों के फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर कर रहा है. ऐसे में जब देश में फिर एक और वेरिएंट यानी ओमिक्रॉन की शुरुआत हुई है तो लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि ये नया वेरिएंट शरीर के किस हिस्से को टारगेट करता है.
विशेषज्ञों का कहना है, 'अब तक सामने आए अधिकतर ओमिक्रॉन के मामले में बहुत माइल्ड नेचर की डिजीज सामने आ रही है. कई केसों में लंग्स में पैचेज देखने को मिले हैं, लेकिन कोई बड़ा नुकसान अभी नहीं हो रहा है, यह शुरुआती डाटा है, हमें यह देखने के लिए और इंतजार करना होगा कि अगर भारी संख्या में केस आते हैं तो क्या सभी माइल्ड नेचर के ही होंगे. डेल्टा में भी शुरुआत में इतनी सीरियस डिजीज नहीं देखी गई थी, बाद में जब केस की संख्या बढ़ी तब सीरियस नेचर के केस ज्यादा उभरकर आए.'
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विशेषज्ञों ने बताया, ‘ये वेरिएंट हर आयु वर्ग (Age Group) को प्रभावित कर रहा है. आपको बता दें कि साउथ अफ्रीका में ओमिक्रॉन बच्चों को भी प्रभावित कर रहा है, लेकिन शुरुआती डाटा का आंकलन करने के बाद पता चला कि सीरियस डिजीज और डेथ जितनी भी अब तक हुई हैं, वो केवल अनवैक्सीनेटेड (Unvaccinated) लोगों में देखी गई हैं. अगर आप वैक्सीनेटेड हैं तो शायद आपको यह वेरिएंट इफ्केट तो कर सकता है, लेकिन ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं होगी, आप शायद ICU तक नहीं जाएंगे और मौत की संभावना ना के बराबर होगी. इसलिए वैक्सीन ही सबसे सशक्त हथियार है.
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देश में जब कोरोना की दूसरी लहर आई थी तब लोगों को किस तरह कम ऑक्सीजन की दिक्कत का सामना करना पड़ा था. इस बार ऑक्सीजन कितना अहम रोल निभाएगी, इस पर डॉक्टर का कहना है, ‘ये अभी बहुत कम केस में हुआ है, शुरू के 2 हफ्तों में कहा जा रहा था कि ये बिल्कुल जीरो के बराबर है और किसी की मौत भी नहीं हुई थी, फिर इंग्लैंड से पहली डेथ रिपोर्ट हुई थी, अब और भी जगहों से डेथ की खबर आ रही हैं. हमारे देश में जितने भी केस रिपोर्ट हुए हैं, उनमें बहुत ही कम संख्या में ऑक्सीजन लेवल कम होना या डेथ होना रिपोर्टेड है. ज्यादातर केस माइल्ड हैं, जिन्हें घर पर ही मैनेज किया जा रहा है, हॉस्पिटल एडमिट भी हो रहे हैं तो केवल एक दो दिन के लिए जाकर लोग घर आ रहे हैं.
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