नई दिल्ली: कोरोना वायरस से जारी लंबी जंग के बाद दुनियाभर के लोग बेसब्री से कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं. तमाम देशों के साथ भारत में भी कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का परीक्षण जारी है, जो अब आखिरी स्टेज में पहुंच चुका है. कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) खुद देश में विकसित की जा रही तीनों कोरोना वैक्सीन की तैयारियों की ग्राउंड रिपोर्ट देखने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute Of India) पहुंचेंगे. ये जायजा क्यों अहम है पहले आपको ये समझना चाहिए- 


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भारत में तीन वैक्सीन हैं रेस-


1. को-वैक्सीन 
ये पूरी तरह स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है. इसका परीक्षण तीसरे चरण में पहुंच चुका है. भारत बायोटेक (हैदराबाद), आईसीएमआर (दिल्ली), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) द्वारा देशभर के 25 हजार लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है. इसके लिए 21 सेंटर में ट्रायल चल रहे हैं. जानकारों के अनुसार, स्वदेशी होने के कारण ये सबसे सस्ती कोरोना वैक्सीन हो सकती है.


2. कोविशील्ड 
सिरम इंस्टीट्यूट (पुणे), ऑक्सफोर्ड (Britain),  एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) द्वारा भारत के 17 सेंटर पर इस कोरोना वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है. इस वैक्सीन का परीक्षण भी तीसरे चरण में पहुंच चुका है. जानकारों के अनुसार, जल्दी ही एमरजेंसी यूज के लिए सरकार इस वैक्सीन को मंजूरी दे सकती है. हालांकि कंपनी के नतीजों के मुताबिक, आधी डोज देने वाले लोगों पर ये वैक्सीन सबसे ज्यादा 90 प्रतिशत कारगर पाई गई है. जबकि वैक्सीन की पूरी डोज देने पर 65 प्रतिशत कारगर पाई गई. इस लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है. ऐसे में ये ट्रायल का एक राउंड दोबारा कराए जाने के कयास भी लगाए जा रहे हैं.


3. जायकोव- डी
इस वैक्सीन के परीक्षण का दूसरा चरण खत्म हो गया है. अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिला दिसंबर महीने में तीसरा चरण शुरू करेगी. 


कब आएगी कोरोना वैक्सीन?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोरोना वैक्सीन अगले साल मार्च तक आ सकती है. वैक्सीन को समय पर हर जरूरत मंद तक पहुंचाने के लिए सरकार अभी से बेहतर प्लान बनाने की तैयारियों में जुटी हुई है. हालांकि जानकारों के मुताबिक, हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में करीब दो वर्ष का समय लग सकता है. यानी 2022 के अंत तक सबको कोरोना का टीका लग चुका होगा. लेकिल इससे पहले भारत सरकार को अपनी वैक्सीन की स्थिति समझनी होगी, कि भारतीय वैक्सीन कब तक तैयार होंगी. रुस की स्पूतनिक वी और अमेरिका की मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन के लिए क्या करार करने चाहिए या नहीं? कितनी डोज चाहिए होगी? ये भी सरकार को तय करना होगा.


ग्लोबल स्थिति से समझिए वैक्सीन परीक्षण का खेल
- 38 वैक्सीन पहले चरण में हैं. इस चरण में ये तय किया जाता है कि वैक्सीन की कितनी डोज सही रहेगी.
- 17 वैक्सीन दूसरे चरण में हैं. इस चरण में ये तय होता है कि वैक्सीन कितनी सुरक्षित है.
- 13 वैक्सीन तीसरे चरण में हैं. इसमें ये तय होता है कि वैक्सीन कितनी कारगर है.
- 6 वैक्सीन को सीमित प्रयोग की अनुमति मिली है. इनमें से तीन चीन की हैं. एक रुस की स्पूतनिक वी है.


कौन है वैश्विक रेस में आगे?
- फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन 95 प्रतिशत कारगर होने का दावा करती हैं.
- अमेरिका की मॉडर्ना 92 प्रतिशत कारगर होने का दावा करती हैं.
- रुस की स्पूतनिक वी 95 प्रतिशत कारगर होने का दावा करती हैं. इसलिए भारत सरकार वैक्सीन के लिए रुस से भी बातचीत कर रही है.
- ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनका- सिरम (इसका नाम भारत में कोविशील्ड है).
- चीन की भी तीन वैक्सीन हैं जिनका एमरजेंसी इस्तेमाल किया जा रहा है.


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