Anantnag Encounter: अनंतनाग में अब तक क्यों नहीं पूरा हो पाया ऑपरेशन? कैसे बचे हुए हैं आतंकी
Operation Anantnag: ऑपरेशन अनंतनाग के तहत सेना ने आतंकियों को चिन्हित कर उनके ठिकाने के इर्द-गिर्द एक अभेद चक्र तैयार किया है. लिहाजा ऑपरेशन अनंतनाग (Anantnag) को सेना द्वारा चलाया जा रहा अब तक का सबसे हाई-टेक ऑपरेशन बताया जा रहा है.
Jammu-Kashmir Terror Operation: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के अनंतनाग (Anantnag) में 13 जनवरी से आतंकियों के खिलाफ शुरू हुआ एनकाउंटर (Encounter) छठे दिन भी जारी है. गडोले कोकेरनाग में जिस जगह पर आतंकी छिपे हुए हैं वहां सेना ने लगातार डटी हुई है ताकि आतंकियों का सफाया किया जा सके. अनंतनाग में सेना लगातार आतंकियों के ठिकाने पर भारी गोलीबारी कर रही है और रॉकेट लॉन्चर से बम बरसाए जा रहे हैं जिससे कोकेरनाग का पूरा इलाका दहल उठा है. सिर्फ गोलीबारी और बम ही नहीं, सेना ने आतंकियों को बिल से बाहर खदेड़ने का एक और तरीका निकाला है. सेना को जिस गुफा में आतंकियों के छुपे होने की शक है उसमें आग लगा दी गई. लेकिन क्या वजह है कि आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन छठे दिन भी जारी है और आंतकी अब तक कैसे बचे हुए हैं?
आतंकियों की गुफा में लगाई आग
बताया जा रहा हैं कि उस गुफा में आग इसलिए लगा दी गई है कि अगर इसके भीतर आतंकी हैं तो वो धुएं के कारण सफोकेट हों या गर्मी लगने के कारण बाहर निकलें और उन्हें निशाना बनाया जाए या फिर वो भीतर ही झुलस जाएं और इस ऑपरेशन को खत्म किया जा सके. कश्मीर घाटी में आतंक विरोधी अभियानों में अब तक का सब से लंबा चलने वाला ऑपरेशन बन गया है. सेना की कोशिश है कि जल्द से जल्द इसे खत्म किया जाएगा, जिसके लिए सेना पहले से ज्यादा आक्रामक दिख रही है. सेना ने पीर पंजाल की पहाड़ियों पर हमले भी तेज कर दिए हैं.
छठे दिन भी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कोकेरनाग में एक कमांड सेंटर भी बनाया है जहां से उन्हें ऑपरेशन की लाइव फीड मिल रही है. जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सेना के एनकाउंटर ऑपरेशन का आज छठवां दिन है. रविवार को सेना ने आतंकियों की लोकेशन ट्रैक की और उनके ठिकाने पर भारी गोलीबारी की गई. इस कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने अपने हाई-टेक ड्रोन सिस्टम और ग्रेनेड लॉन्चर्स का इस्तेमाल किया.
अब तक क्यों बचे हुए हैं आतंकी?
जान लें कि कोकेरनाग इलाके में जिस जगह पर आतंकी छिपे हुए हैं वहां सेना इस वक्त गिद्ध की तरह नजर जमाए हुए हैं. आतंकियों को पता है कि उनका बच पाना मुश्किल है. ऐसे में वो घने जंगलों के बीच, बिल बनाए बैठे हैं और अपने दिन गिन रहे हैं. लेकिन आतंकी बचे भी अब तक इसी वजह से क्योंकि वो ऊंचाई वाली जगह छिपे हुए हैं. वहां घना जंगल है. आतंकी किस गुफा में छिपे हैं ये पता लगाना एक बड़ा चैलेंज है.
अत्याधुनिक हथियारों का हो रहा इस्तेमाल
खुफिया जानकारी के मुताबिक, भारतीय सुरक्षबलों के साहस को देख कर लॉन्च पैड पर भी कई आतंकी इकट्ठा हो गए हैं. उन्हें खौफ सता रहा है कि कहीं एक बार फिर भारतीय सेना सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई को अंजाम ना दे दे. आतंकियों का ये डर हर लिहाज से जायज है. दरअसल आतंकियों की धरपकड़ के लिए सेना अपने कई अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रही है, जिसकी वजह से आतंकियों का छिप पाना मुश्किल हो गया है.
सेना के इस ऑपरेशन में कौन से हथियार शामिल हैं एक नजर उनपर डालते हैं. आतंकियों पर नजर रखने के लिए सेना हेक्साकॉप्टर का इस्तेमाल कर रही है, इस खास ड्रोन की मदद से 10 किलोमीटर के दायरे की डिजिटल वीडियोग्राफी की जा सकती है. वहीं कई तरह के ग्रेनेड लॉन्चर्स का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. सेना के ज्यादातर जवानों के पास Automatic हथियार है वहीं कुछ के पास मशीन गन है. सेना के पास जरूरत के हिसाब से इम्प्रूवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) और बम भी तैयार है, जिसे ड्रोन से गिराया जा सकता है.
आंतकियों के खिलाफ इस ऑपरेशन में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की कई यूनिट्स भी साथ आई हैं. 19 राष्ट्रीय राइफल्स , 34 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडोस के साथ-साथ पैरा कमांडो और High Altitude Warfare School के अधिकारी इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के जवान और उनके साथ डॉग सक्वाड यूनिट भी हालातों की समीक्षा कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के आतंकी संगठन पाकिस्तानी सेना पर सीजफायर तोड़ने का दबाव बना रहे हैं. दूसरी ओर सुरक्षाबल आतंकियों को डबोचने की ताक में हैं. अब बस सही मौके का इंतजार है.