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नई दिल्ली: यूपी के प्रयागराज में महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या मामले में CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. CBI ने इस आत्महत्या मामले में तीनों आरोपियों, आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को आत्महत्या के लिये मजबूर करने और साजिश रचने का आरोपी बनाया है. CBI ने ये चार्जशीट शनिवार को दाखिल की जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुये आरोपियों को 2 दिसंबर को पेश होने का नोटिस जारी किया है. फिलहाल तीनों आरोपी प्रयागराज की नैनी जेल में बंद हैं.
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह से आनंद गिरी महंत नरेंद्र गिरी को लगातार परेशान कर रहा था और एक वीडियो के जरिये ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही थी, ये सब वो मठ और संपत्ति पर कब्जा करने के लिये कर रहा था और इसमें आद्या तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी ने मदद की. चार्जशीट के मुताबिक 20 सितंबर 2021 को महंत नरेंद्र गिरी ने अपने आश्रम के गेस्ट रूम में फांसी का फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या से पहले महंत नरेंद्र गिरी ने दो वीडियो रिकॉर्ड किये थे और एक सुसाइड नोट लिखा था जिसमें तीनों आरोपियों को अपनी मौत के लिये जिम्मेदार बताया था.
शुरूआत में प्रयागराज पुलिस ने मामला दर्ज कर इस मामले की जांच शुरू की थी और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था. लेकिन यूपी सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी थी जिसके बाद 23 सितंबर को ही सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी.
जांच ने सीबीआई ने पाया कि आनंद गिरी और महंत नरेंद्र गिरी के रिश्ते काफी खराब हो चुके थे और इसकी सबसे बड़ी वजह मठ का संपत्ति विवाद था. महंत नरेंद्र गिरी ने सबसे पहले अपने शिष्य बलबीर गिरी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था और 7 जनवरी 2010 को वसीयत बनाई थी लेकिन एक साल बाद ही 29 अगस्त 2011 को महंत नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था.
इसके बाद आनंद गिरी को लगने लगा था कि अब वही उत्तराधिकारी है. इसी के बाद उसने महंत नरेंद्र गिरी पर दबाव बना कर 12 दिसंबर 2018 को 744 स्केव्यर मीटर की बाघंबरी मठ की जमीन अपने नाम करवा ली थी जिस पर वो पेट्रोल पंप खोलना चाहता था. मई 2019 में आनंद गिरी ऑस्ट्रेलिया गया था जहां पर लड़की से छेड़खानी के आरोप में गिरफ्तार हुआ, उसे छुड़ाने के लिये महंत नरेंद्र गिरी ने पैसे और राजनीतिक ताकत लगा दी थी और भारत वापस ले आया था. लेकिन यहीं से दोनों के रिश्ते खराब होने शुरू हो गये थे.
इसी के बाद 2 जून 2020 को महंत नरेंद्र गिरी ने सबसे पहले अपनी वसीयत आनंद गिरी की बजाय बलबीर गिरी के नाम की जिसमें आरोप लगाया कि आनंद गिरी की हरकतों की वजह से मठ की और मंदिर की काफी बदनामी हो रही है. इसी दौरान आनंद गिरी ने हरिद्वार में विक्रम योग पीठ के नाम से अपना आश्रम बनाया जिसकी इजाजत बांघबरी मठ या महंत नरेंद्र गिरी से नहीं ली. इतना ही नहीं आनंद गिरी इस आश्रम में अपने परिवार के सदस्यों को भी रखने लगा जबकि संत बनने के बाद परिवार से अलग हो जाने और किसी तरह का संपर्क ना रखने का नियम है.
इतना ही नहीं इस आश्रम के शुरू करने के समय आनंद गिरी ने साधु समाज और निरंजनी अखाड़े के सब लोगों को बुलाया लेकिन मंहत नरेंद्र गिरी को नहीं बुलाया. इसी के बाद बकायदा महंत नरेंद्र गिरी ने कहा था कि जो भी आनंद गिरी के आश्रम में जायेगा उसे वापस निरजंनी अखाड़े आने की जरूरत नहीं है.
इसी के बाद महंत नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरी को अखाड़े से निलंबित कर दिया था और 18 फरवरी 2021 को वकील ऋषी शंकर को आनंद गिरी को पेट्रोल पंप के लिये दी गई जमीन की वापस कैसिंल करवाने के लिये कहा गया था. इस के बाद महंत नरेंद्र गिरी 25 फरवरी सुमित तिवारी के साथ हरिद्वार निरंजनी अखाड़े में गए जहां 14 मार्च तक रहे. यहीं पर आनंद गिरी ने महंत नरेंद्र गिरी पर आरोप लगाया कि बाघंबरी मठ की काफी सारी संपत्ति खुद के लिये और परिवार के लिये बेच दी है और गौ शाला भी बेच देना चाहते हैं.
इसी के बाद महंत नरेंद्र गिरी को कोरोना हो गया और वो AIIMS ऋषिकेश में अपना इलाज करवा रहे थे, वहां आनंद गिरी मिलने आया लेकिन मंहत नरेंद्र गिरी नहीं मिले जिसके बाद आनंद गिरी ने सुमित तिवारी को कहा कि महंत नरेंद्र गिरी जिंदा नहीं बचेंगे और मरने से पहले मठ का उत्तराधिकारी आनंद को बना दें. कोरोना से ठीक होने के बाद 12 मई 2021 को महंत नरेंद्र गिरी ने निरंजनी अखाड़ा के पंच परमेशवर को आनंद गिरी को अखाड़े ने निकालने के लिये कहा. आरोप लगाया कि मंदिर और मठ के पैसों का गबन और परिवार से लगातार संपर्क में रहने के कारण काफी बदनामी हो रही है जिसके बाद 14 मई को आनंद गिरी को अखाड़े से निकाल दिया गया.
इस के बाद आनंद गिरी और महंत नरेंद्र गिरी के बीच विवाद काफी गहरा हो गया और आनंद गिरी ने महंत नरेंद्र गिरी पर आरोप लगाने शुरू कर दिये. काफी दिन विवाद चलने के बाद 23 मई को आनंद गिरी अपने सर्मथकों के साथ निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी के पास आया और शाम करीब 4 बजकर 24 मिनट पर महंत नरेंद्र गिरी से बात कराने के लिये कहा. फोन कॉल स्पीकर पर था जिसे आनंद गिरी ने अपने फोन से रिकॉर्ड भी किया.
आनंद गिरी ने महंत गिरी को अखाड़े से निष्कासन को वापस लेने के लिये कहा जिसे 10 दिनों में वापस लेने पर सहमति भी बन गई थी लेकिन इसी बीच आनंद गिरी ने महंत नरेंद्र गिरी को धमकी देते हुए कहा था, 'मैं आपको भेजूंगा तो आपके पैरों की जमीन खिसक जायेगी, ऐसे-ऐसे वीडियो-ऑडियों मेरे पास है.' सीबीआई ने इस ऑडियो रिकार्डिंग को आनंद गिरी के पास से बरामद भी किया है.
इस धमकी के बाद संदीप तिवारी को लगा कि मामला जरूर पुलिस तक जायेगा इसलिये 23 मई की रात को वो मध्यप्र देश के देवास में चला गया. साथ ही आनंद गिरी का बैग लेकर गया, वहां से 25 मई को वापस हरिद्वार आया क्योंकि तब तक पता लग चुका था कि 26 मई को दोनों के बीच समझौता होने वाला है. हालांकि इस समझौते की नींव महंत नरेंद्र गिरी के कोरोना से ठीक होने के दौरान ही बन चुकी थी.
महंत नरेंद्र गिरी ने 24 अप्रैल को ही हरिद्वार से वापस आने के बाद इंदू प्रकाश मिश्रा और सुशील मिश्रा के बीच चल रहे खराब रिश्तों के बारे में बताया था और समझौता कराने के लिये कहा था. इसमें ये भी शर्त रखी गई कि ये समझौता प्रयागराज से बाहर हो. इसी के बाद 26 मई को इंदू प्रकाश मिश्रा के लखनऊ वाले घर में दोनों के बीच समझौता हुआ जिसका बकायदा वीडियो बनाया गया. इसी के तुरंत बाद आनंद गिरी को मंदिर से मिलने वाले सैलरी भी जारी कर दी गई लेकिन आद्या प्रसाद तिवारी और बेटे संदीप तिवारी को फूलों की दुकान वापस नहीं हुई.
हालांकि इस समझौते के बाद जैसी उम्मीद की जा रही थी वैसा हुआ नहीं और 24 जुलाई 2021 को गुरु पुर्णिमा को आनंद गिरी महंत नरेंद्र गिरी के पास नहीं आया जो कि एक गुरु श्षिय की जरूरी परंपरा होती है. इस के बाद महंत नरेंद्र गिरी काफी निराश हुए. 11 सितंबर 2021 को महंत नरेंद्र गिरी ने अपने शिष्य सर्वेश उर्फ बब्लू से सलफास की गोलियां मंगवाई.
सलफास की गोलियां खाने के बाद क्या कोई जिंदा बच सकता है या नहीं और किसी को मरने में कितना समय लगता है, इस बारे में भी महंत नरेंद्र गिरी ने 10 सितंबर से 12 सितंबर के दौरान अपने शिष्यों वासुदेव शुक्ला और अब्युदेव तिवारी से चर्चा भी की. 12 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरी हरिद्वार भी जाना चहते थे लेकिन मौसम खराब होने की वजह से नहीं जा पाये. वहां पर वो कुछ प्रॉपर्टी डीलर से मिलना चाहते थे. जब वो हरिद्वार नहीं जा पाये तो मठ में CCTV लगाने वाले हाशिम अली को DVR से फुटेज डिलीट करने के लिये कहा था हालांकि एक डिवीआर की फुटेज वो डिलीट नहीं कर पाया.
15 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरी यूपी के मुख्यमंत्री से भी मिलना चाहते थे जिसके लिये शैलेंद्र सिंह को लखनऊ के गोमती नगर में रहने का इंतजाम करने को भी कहा था. लेकिन महंत नरेंद्र गिरी किसी वजह से मिलने नहीं जा पाये. इसी दिन हरिद्वार से शैलेंद्र सिंह नाम का आदमी भी महंत नरेंद्र गिरी से मिलने प्रयागराज के मठ में आया जो हरिद्वार में जमीन खरीदना चाहता था और इसके लिये महंत नरेंद्र गिरी को हरिद्वार आने के लिये भी कह रहा था.
इसके बाद 19 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरी ने सर्वेश को नायलोन की रस्सी लाने के लिये कहा. सर्वेश को कहा था कि ये रस्सी कपड़े सुखाने के लिये है. CCTV फुटेज से पता चलता है कि 19 सिंतबर को रात 8 बजकर 34 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट के बीच ये रस्सी सर्वेश ने महंत नरेंद्र गिरी को दे दी थी. इसके बाद वो रस्सी लेकर मठ के गेस्ट हाउस में चले गये थे. इसी दिन महंत नरेंद्र गिरी ने सूरज पांडे से मोबाइल में वीडियो रिकॉर्ड करना भी सीखा जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग CBI ने जब्त की है.
हालांकि इससे पहले 18 सितंबर को महंत ने कुछ लोगों से ये भी जानकारी लेनी चाही की क्या किसी वीडियो पर किसी दूसरे का चेहरा लगाया जा सकता है. इसके बाद 20 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरी ने मनीष शुक्ला और अभिषेक मिश्रा को कहा कि वो काफी दुखी हैं और उन्हें पता चला है कि आनंद गिरी उनका किसी लड़की के साथ आपत्तिजनक वीडियो फैला सकता है.
यही बात महंत नरेद्र गिरी ने सवेरे 7 बजे वाराणसी में महंत संतोष दास उर्फ सत्तू बाबा को फोन कर के बताई. महंत नरेंद्र गिरी ने सत्तू बाबा को कहा कि आनंद गिरी ने ये वीडियो हरिद्वार और प्रयागराज में दो आदमियों को दिखाए हैं. CBI ने अपनी चार्जशीट में तीनों आरोपियों पर साजिश रचने और आत्महत्या के लिये मजबूर करने के आरोप लगाये हैं.