Zee News DNA on Kisan Andolan: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के प्रदर्शन को 9 दिन हो गए हैं. इस दौरान सरकार ने उनकी काफी मांग मानते हुए मनाने की खूब कोशिशें भी की हैं. फिर भी वे नहीं मान रहे हैं.
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DNA on Kisan Andolan Latest Updates: खुद को किसान कह रहे कुछ आंदोलनजीवी हंगामे पर उतारू हैं. ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कई बैठकों के बाद भी किसान, सरकार के किसी भी ऑफर पर राज़ी नहीं हुए हैं. जिन 13 मांगों की लंबी चौड़ी लिस्ट किसान नेताओं ने तैयार की है, उसको लेकर वो अड़े हुए हैं. अब उन सारी मांगों में से कितनी मुमकिन है कितनी नहीं, इसको लेकर किसान नेता, कोई बात नहीं करना चाहते हैं. केंद्र सरकार ने अपने 3 मंत्रियों के जरिए किसानों को ये समझाने की कोशिश की, कि सभी फसलों पर MSP गारंटी नहीं दी जा सकती है. लेकिन इस बात पर किसान नेता राज़ी नहीं हैं. सरकार कपास, मक्का, मसूर, अरहर और उड़द जैसी फसलों पर MSP गारंटी देने को राज़ी भी हो गई, लेकिन किसान नेताओं ने इस ऑफर ठुकरा दिया. तो क्या ये समझा जाए कि इन किसान आंदोलनजीवियों का मकसद, हंगामा खड़ा करना है.
नाजायज मांगों पर नहीं भरी है हामी
सवाल ये है कि जो प्रदर्शनकारी, खुद को किसानों का पक्षधर बताकर हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर मौजूद हैं, वो चाहते क्या हैं. हमने ऐसे कई प्रदर्शन देखे हैं, जिसमें प्रदर्शनकारी, ट्रेनें रोककर, भारत बंद बुलाकर, हंगामा करके या हिंसा करके, अपनी मांगों को जायज़ बताने की भरपूर कोशिश करते हैं. लेकिन सरकार ने कभी भी नाजायज़ मांगों पर हामी नहीं भरी है. यही नहीं, कई बार तो सरकार ने प्रदर्शनकारी ग्रुप के नेताओं से बात भी नहीं की.
किसानों के साथ केंद्र सरकार का रवैया अभी तक थोड़ा नरम नजर आया है. ये अलग बात है कि हरियाणा-पंजाब सीमा पर मौजूद किसान प्रदर्शनकारी हर दिन ज्यादा उग्र होते दिख रहे हैं. हरियाणा पुलिस हर जतन करके, किसान प्रदर्शनकारियों को दिल्ली की तरफ जाने से रोक रही है. लेकिन किसान भी अलग-अलग तरीके से पुलिस पर दबाव बना रहे हैं. आज हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस और किसान प्रदर्शनकारियों के बीच खूब हंगामा हुआ. किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले दाग रही है.
किसानों के हमले में 12 पुलिसकर्मी घायल
खबर ये भी है कि टियर गैस के शेल लगने की वजह से एक प्रदर्शनकारी की मौत भी हो गई. आपको बताना जरूरी है कि लाठी,पत्थरबाजी और गंडासे से हुए हमले की वजह से 12 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कुछ किसान प्रदर्शनकारी अपने साथ गंडासा और तलवार जैसे हथियार भी लेकर आए हुए हैं.
किसी व्यवस्था के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन में दोनों पक्षों में लचीलापन होना जरूरी होता है. लेकिन किसान प्रदर्शनकारियों के अगुवा सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल का मकसद, मुद्दे का हल निकालना या प्रदर्शन रुकवाने के तरीके पर बात करना नहीं, बल्कि दिल्ली पहुंचना है. यही वजह है कि इतना हंगामा, हिंसा होने का बावजूद, सुलह का रास्ता ना अपनाकर, ये दोनों किसान नेता, दिल्ली जाने को लेकर प्रदर्शनकारियों को उकसा रहे हैं.
आखिर दिल्ली जाने की जिद पर क्यों अड़े हैं किसान?
9 दिन का प्रदर्शन और पुलिसकर्मियों समेत 6 लोगों की मौत के बावजूद, डल्लेवाल की बातों से एक बात साफ है कि उनका मकसद, मुद्दों पर बातचीत करना नहीं, अराजकता फैलाना है. शंभू बॉर्डर पर रहकर भी किसान नेता, अपनी मांगों पर सरकार से बातचीत कर सकते हैं और कोई बीच रास्ता निकाल सकते हैं. उसके लिए दिल्ली की सीमा पर आना जरूरी नहीं है. लेकिन अपने बयानों से वो ये दिखाना चाहते हैं कि दिल्ली तक पहुंचना ही उनका एकमात्र मकसद है. पिछले किसान आंदोलन में लाल किले पर जो हंगामा हमने देखा, उससे सुरक्षा बलों ने बड़ी सीख ली है, इसीलिए किसी भी कीमत पर किसान आंदोलनकारियों को दिल्ली से कई किलोमीटर पहले ही रोका गया है.
इस बार के किसान प्रदर्शनकारी भी, पिछली बार से ज्यादा तैयारी करके आए हैं. इसलिए पुलिस ने पिछली बार के आंदोलन से सीख लेते हुए, Rubber bullets, tear gas, sound cannon जैसे उपकरण मंगवाए हैं, तो दूसरी तरफ किसान प्रदर्शकारी भी इनका तोड़ लेकर रणक्षेत्र में मौजूद हैं.
बॉर्डर पर शह- मात का खेल जारी
शंभु बॉर्डर पर पुलिस ने कई लेयर की barricading की हुई है, सीमेंट के बैरिकेड तक लगाए हैं. इन बैरिकेड को लांघना आसान नहीं है, इसलिए बैरिकेड तोड़ने के लिए प्रदर्शनकारी किसान Poklane Machine, JCB और hydra machine लेकर ही शंभु बॉर्डर पर पहुंचे हैं.
पुलिस प्रदर्शनकारी किसानों की हिंसा रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल कर रही है, इसके तोड़ में किसान स्पेशल मास्क, चश्मे, गीली बोरियों को इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां तक की आंसू गैस की दिशा बदलने के लिए ट्रैक्टर्स को modify करके उनमें बड़े-बड़े पंखे लगाए गए हैं.
DNA : किसान Vs सरकार..युद्ध जैसा माहौल. किसानों का मकसद 'हल या हंगामा' ? #DNA #DNAWithSourabh #KisanAndolan #FarmersProtest #MSP #FarmersProtest2024 #ArjunMunda@saurabhraajjain pic.twitter.com/WULDzsp0Ya
— Zee News (@ZeeNews) February 21, 2024
इसके अलावा पुलिस, प्रदर्शनकारियों की ड्रोन से निगरानी कर रही है, पुलिस की निगरानी से बचने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों ने पतंगों को हथियार बनाया है. कई ऐसे युवाओं को मोर्चे पर तैनात किया है, जो पतंगबाजी में माहिर हैं और पतंग के जरिये ड्रोन को नुकसान पहुंचाकर उन्हें जमीन पर गिरा सकते हैं.
इस बार फुल तैयारी में आए हैं किसान
किसी भी तरह की हिंसा रोकने के लिए पुलिस और Rapid Action Force की टीमें हथियारों से लैस हैं.लेकिन प्रदर्शनकारी किसान भी फुल तैयारी में हैं, यहां किसान लाठी-डंडों लेकर पहुंचे है. बॉर्डर पर sound cannon लगाए गए हैं, यानी ऐसा डिवाइस जिसकी तेज आवाज इंसान के लिए सहन करना आसान नहीं होता. लेकिन प्रदर्शनकारी किसान इसके तोड़ में स्पेशल ईयर बड्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये किसी बॉलीवुड फिल्म का सैट नहीं है, ना ही यहां किसी फिल्म की शूटिंग की तैयारी है. बल्कि ये सारा बंदोबस्त, दिल्ली कूच पर अड़े किसानों को रोकना का है.
हरियाणा के शंभु बॉर्डर और खनौरी में स्थिति कहीं ज्यादा विकट है, यहां जुटे हज़ारों प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने के लिए कई बार आंसू गैस के गोले दागे जा चुके हैं. पुलिस प्रशासन तैयार है, तो हर मोर्चे के लिए प्रदर्शानकारी किसानों ने भी फुल तैयारी की है. स्थिति युद्ध जैसी है. पुलिस आंसू गैस के गोले दागती है तो किसान इसके असर से निपटने को तैयार हैं.
बॉर्डर पर जैसे तू डाल डाल..मैं पात पात वाली कहावत दोहराई जा रही है. पुलिस के हर एक्शन पर रिएक्शन की किसान तैयारी किए हुए हैं. किसानों को रोकने के लिए जो बैरिकेड लगाए गए हैं, उन्हें तोड़ने तक के इंतजाम प्रदर्शनकारियों ने किए हैं. पुलिस ने शंभु बॉर्डर पर जुटी भीड़ को खदेड़ने के लिए साउंड कैनन लगाए हैं, यानी ऐसी डिवाइस जिसकी तेज आवाज इंसान के लिए सुनना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन इससे बचने के लिए प्रदर्शनकारी किसान स्पेशल हेडफोन और ईयर बड्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.
ड्रोन गिराने के लिए कर रहे पतंग का इस्तेमाल
पुलिस प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले गिराने और निगरानी के लिए ड्रोन इस्तेमाल कर रही है. ड्रोन से निपटने के लिए किसानों ने अनुभवी पतंगबाजों को मोर्चे पर लगाया है. जो पतंगों से ड्रोन को गिराने की कोशिश करते हैं.
मेन बॉर्डर के अलावा दिल्ली की तरफ आने वाले छोटे रास्तों पर गढ्ढे खोद दिये गये हैं, जिनकी काट के लिए किसान बोरियों में मिट्टी भरकर ला रहे हैं. ताकि गढ्ढों को भरकर दिल्ली कूच कर सकें. प्रदर्शनकारी किसान तो पुलिस से सीधे भिड़ने के लिए लाठी डंडों के साथ भी तैयार दिखाई देते हैं.
पुलिस की तैयारियों के मुकाबले किसानों की तैयारी देखकर नहीं लगता, किसान संगठन बातचीत से अपने मुद्दों को सुलझाने के पक्ष में है. तस्वीरें देखकर ऐसा लगता है जैसे युद्ध की स्थिति बनी हुई है.
कम होने के बजाय बढ़ रहा हंगामा
किसान आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच चल रही झड़प का आज 9वां दिन था. हंगामा हर दिन कम होने के बजाए बढ़ रहा है. 13 मांगों के साथ किसान दिल्ली के लिए चले थे, लेकिन फिलहाल वो हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर ही रोक दिए गए हैं. इन 13 मांगों में सबसे मुख्य मांग है MSP यानी Minimum support price जिसे हिंदी में 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' कहते हैं. किसी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वो कीमत है, जिससे कम कीमत पर वो फसल नहीं बेची जा सकती. हम पिछले 9 दिनों से कई बार MSP का मतलब बताते चले जा रहे हैं. ताकि देश में ज्यादातर लोगों को ये समझ में आ जाए, कि इसका मतलब क्या है और किसान इसकी मांग क्यों कर रहे हैं. मुमकिन है कि आप यानी हमारे दर्शक, ये जानते भी हों, लेकिन आपको क्या लगता है, कि जो किसान प्रदर्शन कर रहा है, उनको MSP के बारे में कुछ पता होगा?
हमने इसका reality check किया था. हमारी संवाददाता ने MSP को लेकर एक बहुत ही सामान्य सा सवाल, प्रदर्शन कर रहे कुछ किसानों से पूछा. आपको यकीन नहीं होगा, कि उन लोगों को इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है.
अधिकतर किसानों को पता ही नहीं मकसद
मतलब जिसे किसान आंदोलनकारी और इस आंदोलन के अगुवा नेता,मुख्य मुद्दा बता रहे हैं, उसके बारे में प्रदर्शन कर रहे लोगों को मालूम ही नहीं है. तो क्या इससे ये समझा जाए कि किसानों के भेष में मौजूद आंदोलनजीवियों का मकसद किसानों का हित नहीं बल्कि हंगामा करना है?
इस बार के किसान आंदोलन में ज्यादातर किसान पंजाब के हैं. अगर आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेताओं को छोड़ दें, तो बड़ी संख्या ऐसे किसानों की है. जिन्हें ना तो आंदोलन के मुद्दे ठीक से पता है और ना ही दिल्ली कूच करने का मकसद. वो बस भीड़ का चेहरा बने हुए हैं जिन्हें जैसा आदेश मिलता है, वो उसी तरफ चलने लगते हैं. यही वजह है कि शंभु बॉर्डर पर हालात हर दिन बिगड़ रहे हैं. और इससे सुलह का रास्ता मुश्किल होता जा रहा है.