Success Story: Fevicol के मालिक बलवंत पारेख कभी चपरासी का काम किया करते थे, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत के दम से पूरा खेल ही पलट दिया.
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नई दिल्ली: Success Story: विज्ञापन ऐसी चीज है, जिसे देखना लोग पसंद नहीं करते हैं. लेकिन इसमें भी शर्त है कि वो Fevicol का ना हो. शायद आपको हालिया मिश्राइन का सोफा वाला विज्ञापन याद होगा. इन विज्ञापन से इतर फेविकॉल एक ऐसा ब्रॉन्ड है, जिसका इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है. भारत में ग्लू बनाने वाली इस कंपनी का इतिहास इन विज्ञापनों से भी कही अधिक रोमांचकारी और मोटिवेट करने वाला है. इस कंपनी के मालिक बलवंत पारेख कभी चपरासी का काम किया करते थे, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत के दम से पूरा खेल ही पलट दिया.
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भारत छोड़ो आंदोलन में रहे शामिल
बलवंत पारेख का जन्म गुजरात में हुआ. उनका परिवार चाहता था कि वे वकील बने. ऐसे में वह वकालत पढ़ने के लिए मुंबई आ गए. यहां वह महात्मा गांधी के प्रभाव में आ गए. वकालत तो की लेकिन वकील नहीं बने. भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा भी लिया. इस दौरान ही उनकी शादी हो गई, तो परिस्थितयों के देखते हुए प्रिंटिग प्रेस में नौकरी कर ली.
जहां बने चपरासी, वहां से आया फेविकॉल का आइडिया
प्रेस की नौकरी के बाद वह एक लकड़ी व्यापारी के ऑफिस में चपरासी की नौकरी करने लगे. इस दौरान वह ऑफिस के गोदाम में रहा करते थे. यहां उन्होंने लकड़ी के काम को काफी गौर से देखा. इस दौरान उन्होंने अपने संबंध भी बनाए, जिस वजह से उन्हें जर्मनी जाने का मौका मिला. वहां से लौटते ही आयात के बिजनेस में लग गए.
इस बीच देश में आजादी का समय आ गया. इस समय देसी सामान को लेकर लोगों के प्रति क्रेज देखा जा रहा था. ऐसे में व्यापरी भी देश में ही सामान बनाने लगे. बलवंत को अपने चपरासी के दिन याद थे. उन्हें पता था कि लकड़ी के काम करने वालों लोगों को उसे जोड़ने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. पहले जानवर के चमड़े की गोंद आती थी. जिसे गर्म करके चिपकाया जाता था और उससे काफी बद्दबू आती थी. ऐसे में बलवंत के दिमाग सिंथेटिक ग्लू का आइडिया आया. और यहीं से फेविकॉल को जन्म हुआ.
1959 में पिडिलाइट की हुई शुरुआत
बलवंत ने अपने भाई के साथ मिलकर साल 1959 में पिडिलाइट की शुरुआत की. इस कंपनी ने ही फेविकोल बनाना शुरू किया. इसके बाद कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हां, बदलती दुनिया के साथ फेविकोल से लेकर फेविक्विक तक बनाने लगी. इसके अलावा कंपनी एमसील जैसे कई प्रोडक्ट मॉर्केट में लाई. इसी तरह कंपनी रेवेन्यू हजारों करोड़ों तक पहुंच गया.