बेंगलुरू: नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ गुरुवार को देशव्‍यापी प्रदर्शन हुए. राजधानी बेंगलुरू समेत प्रदेश के कई हिस्‍सों में प्रदर्शन हुए. इस दौरान बेंगलुरू के टाउन हॉल में प्रदर्शनकारियों से जब जाने को कहा गया तो उन्‍होंने जगह छोड़ने से इनकार कर दिया. उसके बाद बेंगलुरू (सेंट्रल) के डीसीपी चेतन सिंह राठौड़ ने लोगों को छोटा सा भाषण देकर समझाया. उन्‍होंने लोगों से अपने घरों की तरफ जाने का आग्रह करते हुए कहा कि असामाजिक तत्‍व इस तरह के मौकों का लाभ उठाना चाहते हैं और उकसाने वाली हरकते करते हैं. उसके बाद हिंसा हो जाती है. लिहाजा आप पुलिस पर भरोसा करते हुए शांतिपूर्वक अपने प्रदर्शन को समाप्‍त कर दें. उसके बाद उन्‍होंने कहा कि आइए मेरे साथ राष्‍ट्रगान गाइए. फिर क्‍या था, धीरे-धीरे लोग उनका साथ देने लगे और उसके बाद धीरे-धीरे शांतिपूर्वक तरीके से तितर-बितर हो गए.


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उल्‍लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में गुरुवार को कर्नाटक के बेंगलुरू, कलबुरगी और शिवमोगा में प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा भी शामिल रहे. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "तीन दिन से धारा 144 लागू होने के बावजूद कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठे होने की कोशिश कर रहे लगभग 300 प्रदर्शनकारियों को बेंगलुरू के टाउन हॉल में हिरासत में रखा गया."


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प्रदर्शन कर रहीं कई महिलाओं को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया. हिरासत में रखने के लिए जा रहे प्रदर्शनकारी बसों के अंदर से नारेबाजी कर रहे थे.


 



विरोध प्रदर्शन जारी रहने के बावजूद बेंगलुरू पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने अपने निजी ट्विटर खाते से कई प्रदर्शनकारियों से व्यक्तिगत रूप से बात की और उनसे कानून की अवहेलना नहीं करने का आग्रह किया. उन्होंने एक ट्विटर यूजर राहुल सिंह से कहा, "आरणीय सर, कृपया जनता को न भड़काएं और उन्हें कानून तोड़ने के लिए गुमराह न करें. धारा 144 लागू है."


एक कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ता वटल नागराज को उनके आवास से हिरासत में लिया गया. हालांकि प्रदेश के अधिकतर शहरों और कस्बों में आम जनजीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और स्कूल, कॉलेज, दुकानें, ढाबे और कार्यालय सामान्य रूप से संचालित थे और सार्वजनिक परिवहन चल रहा था.