Life Expectancy: आजकल 100 साल की उम्र तक स्वस्थ्य रहना थोड़ा मुश्किल हो गया है. हालांकि ये नामुमकिन नहीं है. सामूहिक प्रयास करके सिंगापुर से सबक लेकर एक नेशनल लेवल की तैयारी करते हुए ऐसा किया जा सकता है.
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Long Life Tips in hindi: दुनिया के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां लोगों की औसत आयु बाकी दुनिया से ज़्यादा है. शोधकर्ताओं ने इन इलाकों में रहने वालों की लंबी उम्र के कारणों पर रिसर्च करते हुए लोगों के मन में नई उम्मीद जगा दी है. तमाम हेल्थ जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट्स के मुताबिक हर बीतते दिन के साथ लोगों की जिंदगी लंबी हो रही है. संयुक्त राष्ट्र (UN) का अनुमान जता चुका है कि इस सदी के मध्य तक इंसानों की औसत आयु बढ़कर 77 साल हो सकती है.
'सिंगापुर के लोग 20 साल ज्यादा जीने लगे हैं'
लाइफ एक्सपेक्टेंसी के मामले में जापान और यूरोप के कुछ देशों का नाम टॉप पर रहता था. लेकिन इस मामले में अब वो दिन और दूरी ज्यादा दूर नहीं जब सिंगापुर का नाम इस मामले में सबसे आगे होगा. यहां की सरकारी नीतियों और लोगों की जागरूकता के चलते अब सिंगापुर में ज्यादा लंबी उम्र जीने वालों की संख्या बढ़ी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय, मलय और चीनी संस्कृति से प्रेरित इस सिटी के लोग अब 20 साल ज्यादा जीने लगे हैं. बीते एक दशक में शतायु यानी सेंचुरी पार करने वालों की संख्या भी दोगुनी हो गई है.
ब्लू जोन एलएलसी के फाउंडर और लेखक डैन ब्यूटनर ने अपनी एक हालिया किताब में सिंगापुर को छठा ब्लू जोन घोषित किया है. इस किताब में स्वस्थ्य जीवन, संतुष्टि और अच्छी मेंटल हेल्थ के साथ लंबी उम्र का राज और मंत्र दोनों विस्तार से लिखे हैं.
100 साल जीने के टिप्स- सिंगापुर से सीखें
1. पैदल चलने-पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर: डैन ब्यूटनर के मुताबिक 60 लाख से कम आबादी का सिंगापुर पूरी दुनिया से कई मायनों में खास और अलग है. यहां पैदल चलने और सार्वजनिक परिवहन पर जोर है. कारें महंगी हैं. पेट्रोल पर इतना TAX है कि कार अफोर्ड करना सबके बस की बात नहीं है. पूरे सिटी में हर जगह जबरदस्त हरियाली है. घरों से मेट्रो स्टेशन की अधिकतम दूरी 500 मीटर है. प्रदूषण कम है तो फेफड़ों की बीमारी नहीं होती. श्वसन तंत्र मजबूत रहता है. यहां के लोग एक्सरसाइज से दिन शुरू करते हैं. सुबह या शाम को पार्क जरूर जाते हैं. लोग एक दूसरे को टहलने के लिए प्रेरित करते हैं. इससे नींद अच्छी आती है. वहीं हेल्दी लाइफ स्टाइल से भूख नियंत्रित रखने में मदद मिलती है.
2. हेल्दी फूड पर फोकस : यहां के लोगों को प्रोसेस्ड फूड की तुलना में हेल्दी फूड खाने पर प्रेरित किया जाता है. ऐसे में पोषक तत्वों वाली खानपान की चीजों पर सब्सिडी मिलती है. स्वीड ड्रिंक्स में सुगर की मात्रा कम होती है. फूड आइटम में सोडियम और अनहेल्दी तत्वों की मात्रा पर नजर रखी जाती है. हेल्दी फूड का लेवल लगाकर अच्छे खान-पान की चीजें बेची जाती हैं.
3. हेल्थ सेक्टर है मजबूत: यहां का हेल्थ सेक्टर अच्छा है. प्रति हजार आबादी पर डॉक्टर और नर्स अन्य देशों की तुलना में ज्यादा हैं. अस्पताल अपनी नर्सों और मेडिकल स्टाफ को आस-पास के इलाकों में रेगुलर विजिट करने को भेजते हैं. ताकि बुजुर्गों की सेहत का लेवल और उन्हें सही समय पर दवाएं और अन्य जरूरत की चीजें पहुंचाई जा सकें. जाहिर है इस काम के लिए सरकार भी अस्पतालों को प्रेरित करती है.
4. सामाजिक होने पर जोर-अकेलेपन के लिए जगह नहीं : जवानी हो या बुढापा अकेलापन लोगों को बहुत खलता है. खासतौर पर बुढापे में अकेलापन अपने आप में एक बीमारी बन जाता है. अकेलेपन से मानसिक स्वास्थ्य खराब होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में टीनेजर्स हों, युवा हो या महिलाएं सभी में आपस का मेलजोल बढ़ाने के लिए यहां के घरों का आर्किटेक्चर इस तरह का है कि लोगों का उनके पड़ोसियों से संपर्क बना रहता है. वहां के समाज में कम्युनिकेशन गैप के लिए जगह नहीं है. लोग सामाजिक हैं. एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं. यहां 80%आबादी सरकार के बनाए घरों में रहती हैं. लोग अक्सर पार्क, फूड स्ट्रीट या अन्य जगहों पर इकठ्ठा होकर एक दूसरे से मिलते हैं. ऐसे में नए दोस्तों की संख्या बढ़ती है. पुराने लोगों से रिश्ता और मजबूत होता है.
5. पैरेंट्स के साथ रहने पर विशेष छूट: लंबी उम्र के फार्मूले पर लिखी गई इस किताब के मुताबिक सिंगापुर में पैरेंट्स के साथ रहने पर करीब 18-20 लाख की टैक्स छूट मिलती है. वहीं पैरेंट्स का ख्याल रखने के नाम पर अगर आप उनके घर के पास रहते हैं तो भी आपको कुछ छूट मिलती है. ऐसे में बुजुर्गों की देखभाल अच्छे से हो जाती है.