फेमिनिज्म ने इस समाज को बर्बाद कर दिया है! बॉलीवुड एक्ट्रेस और डांसर नोरा फतेही ये कहना है. जिसके कारण महीनों ट्रोल होने के बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ गयी. लोगों ने कहा कि नोरा फतेही को फेमिनिज्म के बारे में कुछ नहीं पता है. यह सब कुछ महीने पहले शुरू हुआ जब नोरा फतेही एक पॉडकास्ट में गयीं थी. यहां उन्होंने फेमिनिज्म पर अपनी राय रखते हुए ये कहा कि वह महिलाओं के परिवार नहीं बनाने के विचार से सहमत नहीं हैं. हालांकि उन्होंने अब अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए उनसे माफी भी मांगी है और कहा है कि उनके बयान को गलत समझा गया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मैशेबल के साथ एक साक्षात्कार के दौरान, नोरा ने कहा कि उनका बयान वास्तविक नारीवाद और महिला अधिकारों के बारे में नहीं था, बल्कि "कट्टरपंथी नारीवाद" के बारे में था जिसने वेस्टर्न देशों को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहूंगी कि भारत में यह कोई समस्या नहीं है. यहां अभी भी परंपरा और मूल्यों को बनाए रखा जाता है. लेकिन पश्चिम में, बहुत सारे लोग हैं जो इस विचारधारा को प्रोत्साहित करते हैं कि 'मैं सब कुछ खुद कर सकती हूं', 'मैं अकेले बच्चे पाल सकती हूं'. बेशक, आप कर सकते हैं, लेकिन हम इसे क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं? उन्होंने यह भी बताया कि वह सिंगल मदर के साथ रहीं और इसके साइड इफेक्ट्स को भी फेस किया है. फेमिनिज्म एक गंभीर मुद्दा है, जिसका सही मतलब पता होना बहुत जरूरी है. लेकिन यदि आप नहीं जानते हैं, तो यहां आप इसे आसान भाषा में समझ सकते हैं.


फेमिनिज्म का सही मतलब क्या है?

फेमिनिज्म समाज की पुरुषवादी मानसिकता के खिलाफ एक मुहिम है, जिसका उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता लाना है. फेमिनिज्म का मानना है कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार और अवसर मिलना चाहिए. फेमिनिज्म का लक्ष्य महिलाओं को उनके लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव से मुक्त करना है.

इसे भी पढ़ें- मां के नाम के बिना वैलिड नहीं होंगे डॉक्यूमेंट, पैट्रिआर्कल सोसायटी में क्यों जरूरी महिलाओं के लिए ये ऐलान


 


ज्यादा लोग फेमिनिज्म के बारे में क्या सोचते हैं

फेमिनिज्म की लड़ाई समाज में महिलाओं के लिए संभावनाओं और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है. लेकिन ज्यादातर लोगों इसके अर्थ और उद्देश्य को लेकर भ्रम में है. उन्हें लगता है कि फेमिनिज्म का मतलब पुरुषों का शोषण करके महिलाओं को ऊपर उठाना है, जो कि पूरी तरह से गलत है. 


भारत में क्यों जरूरी है फेमिनिज्म

क्या आप जानते हैं भारत में वर्किंग महिलाओं की संख्या बांग्लादेश जैसे देश से भी कम है? भारत एक विकासशील देश है. लेकिन यह विकसित देशों की लिस्ट में तभी शामिल हो सकता है, जब यहां जेंडर के आधार पर भेदभाव बंद हो जाएगा. अभी तक भारत सभी तरह के लैंगिक सूचकांकों और मापदंडों में बहुत खराब स्थान पर है. लैंगिक असमानता, लिंग अनुपात, वेतनमानों में अंतर, कार्यबल के प्रतिशत के बारे में बात करें तो हमने इन सबसे बहुत ही भयावह तस्वीर पेश की है. आज भी महिलाओं की एक बड़ी आबादी 10 के बाद स्कूल नहीं जा पाती है. उनके अधिकारों का शोषण किया जाता है.