नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) में बीजेपी को सत्‍ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों ने महागठबंधन बनाया है. गठबंधन बनने के साथ यह सवाल भी उठने लगे हैं कि अगर महागठबंधन बहुमत का जादूई आंकड़ा पाने में कामयाब होता है तो प्रधानमंत्री कौन बनेगा. कई लोग मजाक में यह भी कहने लगे हैं कि अगर यह संभव होता है तो महागठबंधन में शामिल हर दल का नेता निश्चित समय के लिए प्रधानमंत्री बनेगा. भले ही यह बात मजाक में कही जा रही हो, लेकिन भारतीय राजनीति में 1965 से 1967 के बीच ऐसा हुआ है. इस पांच साल की समयावधि में देश ने चार प्रधानमंत्री देखे थे. चुनावनामा में आपको बताते हैं कि ऐसे कौन सी परिस्थितियां थीं, जिसके चलते देश को 5 साल के अल्‍पकाल में 4 प्रधानमंत्री देखने पड़े. पांच साल में चार प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल का असर 1967 के लोकसभा चुनाव में भी दिखाई दिया. 


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1962 में चौथी बार प्रधानमंत्री बने जवाहरलाल नेहरू 
1962 में देश का तीसरा लोकसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाब रही. जवाहरलाल नेहरू को चौथी बार देश का प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया गया. 1962 में भारत-चीन के साथ युद्ध में देश को हार का सामना करना पड़ा. बतौर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के लिए य‍ह बहुत बड़ा झटका था. युद्ध के दौरान सेना द्वारा पैर पीछे खीचने की चर्चाओं ने कांग्रेस सरकार की छवि प्रभावित किया था. विपक्षी दलों के हमले एक बार फिर जवाहरलाल नेहरू पर बेहद तीखे हो गए थे. इस सब के बीच 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया से हमेशा के लिए विदाई ले ली. जवाहरलाल नेहरू की मृत्‍यु के बाद गुलजारीलाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया. गुलजारीलाल नंदा ने 27 मई 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और वे इस पद पर 4 जून 1964 तक बने रहे. 


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1964 में लालबहादुर शास्‍त्री को मिली देश की बागडोर
गुलजारीलाल नंदा देश के सबसे अल्‍पकालिक प्रधानमंत्री रहे हैं. उन्‍हें बतौर प्रधानमंत्री सिर्फ सात दिन काम दिया. गुलजारीलाल नंदा के बाद लालबहादुर शास्‍त्री को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया. लालबहादुर शास्‍त्री ने 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया. बतौर प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्‍त्री के कार्यकाल को नौ महीने ही गुजरे थे, इसी बीच अप्रैल 1965 में पाकिस्‍तान ने भारत पर हमला कर दिया. भारत और पाकिस्‍तान के बीच यह युद्ध 23 सितंबर 1965 तक चला. इस युद्ध में पाकिस्‍तान को करारी हार का सामना करना पड़ा. युद्ध समाप्‍त होने के बाद लालबहादुर शास्‍त्री ताशकंद रवाना हो गए. जहां उन्‍हें और पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अयूब खान को युद्ध समाप्ति से जुड़े समझौते पर हस्‍ताक्षर करना था. ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर के उपरांत 11 जनवरी 1966 की रात लालबहादुर शास्‍त्री की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई.


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1966 में देश की चौथी प्रधानमंत्री बने इंदिरा गांधी 
लालबहादुर शास्‍त्री के मंत्रिमंडल में इंदिरा गांधी को सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया था. लालबहादुर शास्‍त्री की रहस्‍यमय मृत्‍यु के बाद 11 जनवरी 1966 को गुलजारी लाल नंदा को एक बार फिर देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया. गुलजारी लाल नंदा का यह कार्यकाल 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966 तक रहा. गुलजारी लाल नंदा के बाद इंदिरा गांधी को देश का चौथा प्रधानमंत्री बनाया गया. 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी ने देश के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने में तत्‍काली कांग्रेस अध्‍यक्ष के कामराज की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही. इस तरह, 1962 से 1967 के बीच देश में मौजूद हुई आपातकालीन परिस्थितियों के चलते देश ने पांच साल की अल्‍पावधि ने चार प्रधानमंत्री देखे.