पटनाः बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने शनिवार को यहां लोकसभा की कुल 40 सीटों में से 39 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. उम्मीदवारों की सूची से स्पष्ट है कि इस चुनाव में एनडीए ने जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा है. उम्मीदवारों की सूची से साफ है कि बीजेपी ने ज्यादा अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को उतारा है.


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एनडीए में शामिल बीजेपी ने जहां एक बार फिर अपने परंपरागत वोट बैंक यानी अगड़े (सामान्य) उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है, वहीं जनता दल (युनाइटेड) ने पिछड़ों और अति पिछड़े उम्मीदवारों के भरोसे चुनावी नैया पार करने की कोशिश की है. एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है.


दिलचस्प बात यह है कि एनडीए ने सिर्फ एक अल्पसंख्यक को अपना उम्मीदवार बनाया है.


उम्मीदवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. एनडीए ने सभी जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है. एनडीए की ओर से घोषित उम्मीदवारों में 19 अति पिछड़ी और पिछड़ी जाति से आते हैं. सबसे ज्यादा जद (यू) ने इस वर्ग से आने वाले 12 लोगों को टिकट थमाया है, जबकि भाजपा ने इस वर्ग से आने वाले सात लोगों को चुनावी मैदान में उतारा है. 


इसी तरह एनडीए ने अनुसूचित जाति से आने वाले छह लोगों को उम्मीदवार बनाया है. 



एनडीए ने सामान्य जाति से 13 लोगों को प्रत्याशी बनाया है. इसमें सबसे ज्यादा राजपूत जाति के सात, ब्राह्मण जाति से दो, भूमिहार जाति से तीन और कायस्थ जाति से एक व्यक्ति को टिकट दिया गया है.


एनडीए की ओर से जद (यू) ने सिर्फ किशनगंज से एक अल्पसंख्यक को टिकट दिया है. 


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