एक फिल्म है- 72 हूरें जो बताएगी कि जन्नत और 72 हूरों के ख्वाब दिखाकर किस तरह मुस्लिम युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर धकेला जा रहा है. और दूसरी फिल्म है अजमेर-92. ये फिल्म 1992 के उस रेप और ब्लैकमेलिंग कांड पर है जिसमें कई हिंदू बच्चियों को बहला-फुसलाकर उनका रेप किया गया था. दोनों फिल्मों के विरोध के पीछे लॉजिक वही है जो आपने पिछले दिनों सुने, कि- इन फिल्मों से भाईचारे को खतरा है. ये फिल्में नफ़रत बढ़ाएंगी.