Taal Thok Ke: 5 जनवरी को उत्तरी चौबीस परगना में रेड करने गई ईडी की टीम पर हमला हुआ था. उसके ठीक चंद दिनों बाद ही पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में फिर भीड़ ने हमला किया. इस बार तीन साधुओं पर हमला हुआ. हालांकि भीड़ की पिटाई में तीनों साधु बाल-बाल बच गए. लेकिन जिस बेरहमी से उनकी पिटाई की गई. वो पुलिस प्रशासन की चुस्ती से लेकर नफरत की इंतेहा पर सवाल खड़े करता है. तीनों साधुओं को इतना पीटा गया कि उनके कपड़े फट गए. एक साधु को तो पूरी तरह निर्वस्त्र करके पीटा गया. यूपी से आए साधुओं के मुताबिक उन्होंने गंगासागर जाने के लिए तीन लड़कियों से गाड़ी रोककर रास्ता पूछने की कोशिश की थी. पुलिस के मुताबिक भाषा की वजह से इस पूछताछ को गलत तरीके से लिया गया और फिर स्थानीय लोगों ने बेरहमी से पिटाई कर दी. 11 जनवरी की इस घटना को बंगाल बीजेपी के नेता सुकांत मजूमदार और अमित मालवीय ने सोशल मीडिया के जरिए उठाया तो सियासी गलियारों में भूचाल आ गया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घटना को लेकर बंगाल की ममता सरकार पर सनातन विरोधी, भगवा विरोधी होने के आरोप लगाए तो केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि ममता सरकार तुष्टीकरण में डूबी है. बीजेपी ने इस पूरी घटना के लिए टीएमसी को जिम्मेदार बताते हुए इसे पालघर पार्ट 2 बता दिया है. आरोप लगे तो ममता सरकार से लेकर TMC नेताओं ने पलटवार किया. ममता सरकार में मंत्री शशि पांजा ने घटना को लेकर बीजेपी पर गंदी राजनीति के आरोप लगाए हैं और उल्टा बीजेपी पर तुष्टीकरण के आरोप लगाए. हालांकि साधुओं को पीटने वाले 12 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन इस पर सियासत के गलियारे धधक रहे हैं. आरोप प्रत्यारोप के शोले फेंके जा रहे हैं. दोनों तरफ से तुष्टीकरण पर रण छिड़ा है..और इस घटना के बाद सवाल पूछा जा रहा है कि क्या बंगाल में सनातन पर खतरा है.