भाषायी आधार पर सियासत का पुराना चलन रहा है, फिर चाहे दक्षिण के राज्य हों या फिर महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर उठता रहा विवाद, आज प्रधानमंत्री मोदी ने इसी मुद्दे पर प्रहार किया, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भाषा की राजनीति करके नफरत की सियासी दुकान चलाने वालों का शटर अब डाउन हो जाएगा, अब इस पर राजनीति मुश्किल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नई शिक्षा नीति के तीन साल पूरे होने पर दिल्ली के प्रगति मैदान में थे, जहां उन्होंने भारतीय शिक्षा समागम दो हजार तेईस का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने शिक्षा जगह में होने वाले बड़े बदलावों पर चर्चा की, बताया कि कैसे शिक्षा नीति को एक मिशन तरह आगे बढ़ाने से देश का समाज का विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब ज्ञान और शिक्षा अर्जित करने में भाषा बाधा नहीं बनेगी क्योंकि सभी तक शिक्षा पहुंचाने के लिए अब 22 भारतीय भाषाओं में पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में समृद्ध भाषाएं होने के बावजूद उन्हें पिछड़ी भाषाओं के तौर पर पेश किया गया लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सवाल ये उठता है आखिर भाषा को लेकर सियासत के क्या मायने रहे हैं ....और कैसे अब नई शिक्षा नीति से भाषा के आधार पर होने वाली सियासत पर रोक लग जाएगी। सवाल ये भी है कि क्या भाषा के आधार पर राजनीति होनी चाहिए...