आर्थिक समीक्षा : आर्थिक सुधारों में तेजी की हो सकती है जोरदार वकालत

मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन की अगुवाई में अर्थशास्त्रियों की एक टीम द्वारा तैयार समीक्षा रिपोर्ट में घरेलू और वैश्विक कारकों के प्रभाव को दूर करने और आर्थिक सुधारों में तेजी लाने की वकालत की जा सकती है।

नई दिल्ली : संसद में बुधवार को पेश होने वाली आर्थिक समीक्षा में जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट थामने के उपायों के बारे में सुझाव दिए जा सकते हैं। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन की अगुवाई में अर्थशास्त्रियों की एक टीम द्वारा तैयार समीक्षा रिपोर्ट में घरेलू और वैश्विक कारकों के प्रभाव को दूर करने और आर्थिक सुधारों में तेजी लाने की वकालत की जा सकती है। आर्थिक समीक्षा, देश की अर्थव्यवस्था का आधिकारिक आंकलन है जिसे परंपरागत तौर पर वित्त मंत्री द्वारा आम बजट पेश करने से पहले संसद के पटल पर रखा जाता है।
इस दस्तावेज को बड़ी अहमियत दी जाती है क्योंकि इसमें सरकार को विभिन्न आर्थिक समस्याओं से निपटने के उपाय सुझाए गए होते हैं और इन उपायों पर सख्त निर्णय करना सरकार पर छोड़ दिया जाता है। इस साल की आर्थिक समीक्षा में मुख्य जोर आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने पर रहने की संभावना है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। सीएसओ का यह अनुमान सरकार के शुरु में जारी 7.6 प्रतिशत में 0.25 कम अथवा अधिक रहने से काफी नीचे है।
हालांकि, समीक्षा में सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदमों की सराहना की जा सकती है। सरकार ने डीजल मूल्यों को आंशिक तौर पर नियंत्रण मुक्त कर दिया, बहु.ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति दे दी और बीमा व विमानन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए विदेशी निवेश नियमों में ढील दे दी।
कराधान के मोर्चे पर, आर्थिक समीक्षा में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) को जल्द लागू किए जाने पर जोर दिया जा सकता है। इसके अलावा, सोने के आयात में बढ़ोतरी और बढ़ते चालू खाता घाटा का भी जिक्र किए जाने की संभावना है।
समीक्षा में मुद्रास्फीति की स्थिति का एक संपूर्ण परिदृश्य पेश किया जाएगा। जनवरी में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर 6.62 प्रतिशत पर आ गई, वहीं खुदरा स्तर पर यह अब भी दहाई अंक में बनी हुई है।
अर्थशास्त्री बढ़ते सब्सिडी बिल का भी उल्लेख आर्थिक समीक्षा में कर सकते हैं। जहां सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए तेल सब्सिडी पर 43,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया था, इस मद में अतिरिक्त 28,500 करोड़ रुपये के लिए उसने संसद की मंजूरी मांगी थी। तेल और सोने का आयात बढ़ने से चालू खाता घाटा जुलाई.सितंबर तिमाही में बढ़कर जीडीपी के 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गया। वर्ष 2011.12 में यह 4.2 प्रतिशत था।
आर्थिक समीक्षा में राजकोषीय घाटे सहित अन्य प्रमुख मुद्दों का उल्लेख किए जाने की भी संभावना है। यह बढ़कर जीडीपी के 5.3 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है जो 5.1 प्रतिशत के बजट अनुमान से अधिक है। (एजेंसी)

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