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नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के प्रमुख के पद से बुधवार को सेवानिवत्त हो रहे विनोद राय ने कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन पर विवादास्पद ऑडिट रिपोर्ट के लीक होने के पीछे उनकी कोई भूमिका नहीं है।
राय ने कहा कि ऑडिट प्रक्रिया के दौरान यदि कोई सूचना के अधिकार के तहत कोई सवाल पूछता है, तो केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने व्यवस्था दी है कि हमें उसका जवाब देना होगा। ऐसा करना रिपोर्ट लीक करना नहीं है।
कैग ने कहा कि उनका विचार है कि संसद में रखे जाने से पहले कैग की कोई रिपोर्ट किसी अन्य को नहीं देखायी जानी चाहिए। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, पर यह तय हुआ कि यह संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं है।
राय ने कहा, ‘हमारा मानना था कि यह संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन है। इसलिए मैंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा। प्रधानमंत्री ने यह मामला विधि मंत्री से देखने को कहा था।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा वित्त मंत्री संसदीय मामलों के मंत्री तथा लोकसभाध्यक्ष के साथ विचार-विमर्श हुआ। लेकिन यह व्यवस्था दी गई कि इसमें संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं होता। ऐसे में हमने आरटीआई के तहत जानकारी देना जारी रखा।’
कैग राय ने कहा कि वह उस मीडिया नीति का पालन कर रहे हैं जो लोकलेखा समिति (पीएसी), सरकार और कैग के बीच त्रिपक्षीय विचार विमर्श के बाद तैयार की गई है।
‘कैग संसद में अपनी रिपोर्ट रखे जाने के बाद रपटों के बारे में समझाने के लिए संवाददाता सम्मेलन आयोजित करता है।’ राय ने कहा कि हम जिस मीडिया नीति का पालन कर रहे हैं वह जून, 2006 से है। यह मेरे पद संभालने से पहले की बात है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि तमिलनाडु सरकार ने 2004 में संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने को चुनौती दी थी। अदालत ने इसे उचित गतिविधि बताते हुए याचिका खारिज कर दी थी।
कोयला ब्लॉक आवंटन तथा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर ऑडिट रिपोर्ट के कुछ हिस्से संसद में रपट रखे जाने से पहले ही मीडिया में आ गए थे। (एजेंसी)