डीजल, LPG के लिए एक लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी

वित्त मंत्रालय पिछले वित्त वर्ष के दौरान सस्ते डीजल, घरेलू रसोई गैस और मिट्टी तेल पर तेल कंपनियों को हुये नुकसान की भरपाई के लिये रिकार्ड 1,00,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है।

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय पिछले वित्त वर्ष के दौरान सस्ते डीजल, घरेलू रसोई गैस और मिट्टी तेल पर तेल कंपनियों को हुये नुकसान की भरपाई के लिये रिकार्ड 1,00,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने इसके साथ ही इस मुद्दे पर भी जोर दिया कि पेट्रोलियम पदाथोर्ं के मूल्य निर्धारण फार्मूले में चालू वित्त वर्ष से ही बदलाव किया जाना चाहिये ताकि सब्सिडी राशि को कम किया जा सके।
वित्त वर्ष 2012-13 के लिये वित्त मंत्रालय अब तक 55,000 करोड़ रुपये की नकद सब्सिडी उपलब्ध करा चुका है। मंत्रालय इसके अलावा 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये की राशि और उपलब्ध कराने पर राजी हुआ है, ताकि 31 मार्च 2013 को समाप्त वित्त वर्ष के बाकी नुकसान की भी भरपाई की जा सके।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ आज यहां वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय एम.वीरप्पा मोइली की हुई बैठक में यह सहमति बनी। बैठक के बाद मोइली ने पेट्र से कहा ‘‘मामले को सुलझा लिया गया है।’’ पेट्रोलियम मंत्रालय सब्सिडी की शेष राशि जारी करने के लिये वित्त मंत्रालय पर दबाव बनाये हुआ था। सार्वजनिक क्षेत्र की विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कापरेरेशन (आईओसी), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कापरेरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) को 2012.13 के अपने खाते को इस माह अंत तक अंतिम रुप देना है। मोइली ने बैठक के बारे में कहा ‘‘हमें शेष सब्सिडी राशि का भुगतान होना चाहिये और इसीलिये यह बैठक हुई।’’
वर्ष 2012-13 में पेट्रोलियम पदार्थों का विपणन करने वाली तीनों तेल कंपनियों को सस्ता डीजल, घरेलू एलपीजी और राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल की बिक्री सरकार नियंत्रित मूल्य पर करने से 1,61,029 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इसकी भरपाई के लिये वित्त मंत्रालय अब तक 55,000 करोड़ रुपये नकद सब्सिडी दे चुका है जबकि 45,000 करोड़ रुपये की सहायता ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और गेल इंडिया से मिली।
कंपनियों के 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान अभी बाकी है जिसकी भरपाई होनी है। तेल एवं गैस उत्पादन से जुड़ी ओएनजीसी और ऑयल इंडिया 15,000 करोड़ रुपये का योगदान और कर सकती हैं, शेष राशि वित्त मंत्रालय को देनी होगी। इस प्रकार वर्ष के दौरान तेल कंपनियों को हुये 1,60,000 करोड़ रुपये के नुकसान में से 60,000 करोड़ रुपये की भरपाई ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और गेल इंडिया करेंगे जबकि शेष 1,00,000 करोड़ रुपये की भरपाई वित्त मंत्रालय पूरी करेगा।
पिछले कुछ वर्षों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ते जाने से पेट्रोलियम पदाथोर्ं की बिक्री पर तेल कंपनियों का नुकसान बढ़ता ही जा रहा है। वर्ष 2009.10 में जहां कंपनियों को 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, वहीं 2010.11 में 71,000 करोड़ रुपये और 2011-12 में 1,38,540 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। (एजेंसी)

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