मुंबई: पायलटों के संघ इंडियन पायलट्स गिल्ड (आईपीजी) ने एयर इंडिया प्रबंधन पर उनकी मांगों से पीछे हटने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को नागर उड्डयन मंत्री अजित सिंह से वार्ता प्रक्रिया शुरू करने की अपील की। माना जा रहा है कि मान्यता रद्द होने के बाद आईपीजी ने दबावों के तहत यह फैसला लिया है। आईपीजी ने बुधवार देर रात दिए बयान में सिंह से वार्ता प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह करते हुए कहा कि मंत्रालय ने अभी तक वार्ता के प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया है। आईपीजी इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रबंधन के अधिकारियों से कहीं भी और किसी भी समय मिलने के लिए तैयार है।"
आईपीजी ने अपने बयान में उन कारणों का जिक्र किया जिसकी वजह से पायलट तीन दिन से सामूहिक रूप से चिकित्सा अवकाश पर हैं।
आईपीजी ने एयर इंडिया पर मनमानेपन एवं एयर इंडिया एवं पूर्व की इंडियन एयरलाइंस के पायलटों के मध्य भेदभाव करने का आरोप लगाया। संघ ने कहा कि प्रबंधन ने इंडियन एयरलाइंस के पायलटों को 2000 डॉलर प्रति माह की वेतन वृद्धि देने के अलावा और न्यायमूर्ति धर्माधिकारी समिति की रिपोर्ट का इंतजार किए बिना उन्हें बोइंस 787 ड्रीमलाइनर विमान पर प्रशिक्षण देने का फैसला कर लिया।
आईपीजी ने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि एयर इंडिया न केवल घाटे में है बल्कि समय पर वेतन देने में भी असमर्थ है। उसके बाद भी प्रबंधन ने वेतन वृद्धि किया।" संघ ने प्रबंधन पर इंडियन एयरलाइंस के सहायक पायलटों की तुलना में एयर इंडिया के सहायक पायलटों को देरी से प्रोन्नति देने का आरोप लगाया।
पिछले हफ्ते आईपीजी ने कहा था कि प्रबंधन के साथ एयर इंडिया पायलटों के करियर से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत वार्ता हुई है। बीती रविवार को संघ ने दावा था कि एयर इंडिया के साथ वेतन एवं प्रोन्नति से जुड़े मुख्य मुद्दों पर सहमति बन गई है और इस पर सात मई को समझौता होगा।
आईपीजी ने कहा कि सात मई को प्रबंधन अपने वादे से पूरी तरह से पलट गया। संघ द्वारा मंत्रालय से सम्पर्क साधने की सारी कोशिशें नाकाम हो गईं। नागर उड्डयन मंत्री ने पायलटों से मंगलवार शाम छह बजे तक काम पर वापस लौटने की अपील की थी जबकि प्रबंधन ने आईपीजी की मान्यता रद्द करते हुए 26 पायलटों को बर्खास्त कर दिया है। (एजेंसी)